(सच्चा शरणम) मुरली तेरा मुरलीधर 25 भेंट सच्चिदानन्द ईश को मुक्त प्रभंजन में मधुकर सत निर्मल आकाश पवन चित नित तेजानन्द सतत निर्झर विविध वर्णमयि विश्व वस्तुयें प्रियतम का रंगालेखन टेर रहा है चित्रमालिनी मुरली तेरा मुरलीधर।।136।।
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धुल जाता है सारा वातावरण राजपथ-सा स्वच्छ निर्मल आकाश कर देता है शुरू बनाना बिखराना इन्द्रधनुषी रंगों और उनके अलग-अलग शेड्स की झंडियाँ लाल, पीली, हरी, नीली, नारंगी और बैंगनी और..... और.....
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जैसे निर्मल आकाश को मेघ मलिन कर देता है, वैसे ही अभिमानमूलक कुतर्कों से ज्ञान और उसके साधनों को विकल्पित करता हुआ जो मूर्ख अपने आत्मभूत बोध को अन्तःकरण में मलिन करता है, वह द्वितीय बोधचंचु है।।
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भावार्थ:-भरतजी का निर्मल यश निर्मल चन्द्रमा है और कवि की सुबुद्धि चकोरी है, जो भक्तों के हृदय रूपी निर्मल आकाश में उस चन्द्रमा को उदित देखकर उसकी ओर टकटकी लगाए देखती ही रह गई है (तब उसका वर्णन कौन करे?) ॥ 303 ॥
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पहाड, पहाडों में अवस्थित गाँव, गाँव के पास से बहती नदी, और सर्दियों मे पहाडों को ढकती सफेद बर्फ, पहाडों से शान्त गाँववाले, गाँववालों के दिल सा साफ वातावरण और वहाँ से दिखती निर्मल आकाश-सब को अपने साथ लेकर चलनेवाला कवि यानी अजय कुमार...
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प्रेम ही रास्ता खोलता है, निर्मल आकाश का वरना तंग गलियों में कहाँ गुजर बाकी है छिल जाता है जिगर, घबरा के मुँह फेरता है जमीर धड़कनें साँसों से कहती हैं, सफर अभी बाकी है मोहरे बने हैं हम, खाता खुला है कर्मों के हिसाब का जिन्दगी मुस्करा के कहती है,
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प्रेम ही रास्ता खोलता है, निर्मल आकाश का वरना तंग गलियों में कहाँ गुजर बाकी है छिल जाता है जिगर, घबरा के मुँह फेरता है जमीर धड़कनें साँसों से कहती हैं, सफर अभी बाकी है मोहरे बने हैं हम, खाता खुला है कर्मों के हिसाब का जिन्दगी मुस्करा के कहती है,...
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यह जगत संकल्प के निर्माण, मनोराज्य के विलास, इंद्रजाल द्वारा रचित पुष्पहार, कथा-कहानी के अर्थ के प्रतिभास, वातरोग के कारण प्रतीत होने वाले भूकंप, बालक को डराने के लिए कल्पित पिशाच, निर्मल आकाश में कल्पित मोतियों के ढेर, नाव के चलने से तथा प्रतीत होनेवाली वृक्षों की गति, स्वप्न में देखे गए नगर, अन्यत्र देखे गए फूलों के स्मरण से आकाश से आकाश में कल्पित हुए पुष्प की भांति भ्रम द्वारा निर्मित हुआ है!
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यह जगत संकल्प के निर्माण, मनोराज्य के विलास, इंद्रजाल द्वारा रचित पुष्पहार, कथा-कहानी के अर्थ के प्रतिभास, वातरोग के कारण प्रतीत होने वाले भूकंप, बालक को डराने के लिए कल्पित पिशाच, निर्मल आकाश में कल्पित मोतियों के ढेर, नाव के चलने से तथा प्रतीत होनेवाली वृक्षों की गति, स्वप्न में देखे गए नगर, अन्यत्र देखे गए फूलों के स्मरण से आकाश से आकाश में कल्पित हुए पुष्प की भांति भ्रम द्वारा निर्मित हुआ है!
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यह जगत् संकल्प से निर्मित की नाईं, मनोराज्य के विलास की नाईं, इन्द्रजाल से रचित माला की नाईं, उपन्यास के अर्थ के प्रतिभास की नाईं, वातरोग से प्रतीत होने वाले भूकम्प की नाईं, बालक को डराने के लिए कल्पित भूत की नाईं, निर्मल आकाश में कल्पित मुक्तावली की (मोतीमाला की) नाईं, नावकी गति से प्रतीत होने वाली वृक्षों की गति की नाईं, स्वप्न में देखे गये नगर की नाईं, अन्यत्र दृष्ट के स्मरण से आकाश में कल्पित पुष्प की नाईं भ्रमकल्पित है।
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