31. अब वही बालक राम व्याकरण, तर्कशास्त्र, अर्थशास्त्र तथा न्याय शास्त्र में पारंगत हो चुका था। 32. न्याय शास्त्र -ईसा से 400 वर्ष पूर्व गौतम ऋषि ने न्याय शास्त्र की रचना की थी।33. न्याय शास्त्र-ईसा से 400 वर्ष पूर्व गौतम ऋषि ने न्याय शास्त्र की रचना की थी। 34. अर्थ एवं न्याय शास्त्र में पढ़ाये जाने वाले विभिन्न सिद्धांतों को हम में से कइयों ने पढ़ा होगा। 35. न्याय शास्त्र , धर्म शास्त्र और अर्थ शास्त्र के अलावा अन्य मनोरंजक विषयों में इनकी दिलचस्पी होती है।36. नवद्वीप के सर्वोच्च नैयायिक हैं, इन्होंने वासुदेव सार्वभौम और पक्षधर मिश्र से न्याय शास्त्र का अध्ययन किया था। 37. [4] आत्मदर्शन के साधन-मनन रूप उपासना-सम्पादनार्थ मुख्यत: न्याय शास्त्र का आविर्भाव हुआ। 38. काशी और दरभंगा के उद् भट विद्वानों के संग वेदांत, मीमांसा, न्याय शास्त्र का गहन अध्ययन किया। 39. आधुनिक न्याय शास्त्र के अनुसार हमें स्वतंत्र इच्छा एवं अभिलाषा की जटिल अवधारणा की मात्रा का मापन करना होगा। 40. वस्तुत: न्याय शास्त्र से दर्शन शास्त्र को जो दृढ़ता मिलती है वह स्थायी, विवेकयुक्त और निर्णयात्मक होती है।