31. ग्रामीण कवि घाघ-भड्डरी के अनुसार जेठ उजारे पाख में, आद्रादिक दस रिक्ष। 32. अंधेरे पाख में अभी पूरे पंद्रह रोज बाकी हैं, तुम ले चलो बस। 33. दुइज न चन्दा देखिये, उदौ कहा भरि पाख ॥--गोस्वामी तुलसीदास 34. इस प्रवेश द्वार के प्रथम पाख (शाख) पर कल्पलता अभिकल्प का चार चित्रण है। 35. तुम्हारे लिए प्रेम चार दिन की चांदनी होगी, मेरे लिए तो अंधेरा पाख हो जायगा। 36. तुम्हारे लिए प्रेम चार दिन की चांदनी होगी, मेरे लिए तो अंधेरा पाख हो जायगा। 37. लिया, तो एक दिन अंधियारे पाख में जाकर स्टेशन के पास से एक कंजर पकड़ लाए। 38. काली पाथरों (स् लेटों) से बनी पाख (छत) धराशायी हो चुकी हैं। 39. हिन्दू पंचांग के अनुसार वह कार्तिक का महीना था, और उजले पाख की चौदहवीं तिथि थी। 40. अंजोरी पाख में, विशेषकर गर्मियों के दिनों में चांदनी के चंदोबे के नीचे बैठक लगती है।