31. इस पुरुषोत्तम मास में साधना करने से कोई व्यक्ति पापमुक्त होकर भगवान को प्राप्त हो सकता है। 32. इसी धातु से बने पावन शब्द का अर्थ पवित्र, निर्मल, पापमुक्त , निर्दोष बनाना है। 33. इस मास में शीतल जल के भीतर डुबकी लगाने वाले मनुष्य पापमुक्त हो स्वर्गलोक में जाते हैं। 34. इससे भी आगे बढकर वह कहता है सारी मानव जाति पैदाइशी तौर पर निर्दोष और पापमुक्त है। 35. गंगा के नाम-स्मरण एवं उसके दर्शन से व्यक्ति क्रम से पापमुक्त हो जाता है एवं सुख पाता है। 36. ब्रह्महत्या, सुवर्ण की चोरी, सुरापानऔर गुरुपत्नीगमन करनेवाले महापातकी भी इस व्रत को करने से पापमुक्त होजाते हैं । 37. जिनके शुभ प्रभाव से बने पवित्र विचार और कर्मों से ही जीवन पापमुक्त , निरोगी व लंबा होता है। 38. उन्हें पापमुक्त करने की मुनियों की इच्छा जानकर सरस्वती अपनी ही स्वरूपभूता ' अरुणा ' को ले आयी। 39. स्वयं पापमुक्त तो होते हैं साथ में कचरों को भी मुक्त कर गंगा को कचरायुक्त कर देते हैं। 40. इस मास में शीतल जल के भीतर डुबकी लगाने वाले मनुष्य पापमुक्त हो कर स्वर्ग लोक जाते हैं।