31. थोड़े ही वर्षो में वे जैन शास्त्रों के पारगामी पंडित बन गये। 32. जड़-चैतन्य में पारगामी होने से जड़ में ऊर्जा-सम्पन्नता और चैतन्य में ज्ञान-सम्पन्नता है. 33. यह ऊर्जा सब में पारगामी है-परमाणु अंश से धरती तक में। 34. पत्थर में, मिट्टी में, पानी में-सभी वस्तुओं में यह पारगामी है। 35. एक परमाणु-अंश से लेकर इस विशाल धरती तक सभी वस्तुओं में यह पारगामी है। 36. “सत्ता पारगामी है, इसलिए प्रकृति क्रियाशील है”-यह मानव के “समझ” में आता है. 37. और भैरव एक विशेष शब्द है, तांत्रिक शब्द, जो पारगामी के लिए कहा गया है। 38. और भैरव का विशेष शब्द है, तांत्रिक शब्द, जो पारगामी के लिए कहा जाता है। 39. उसमें तदाकार-तद्रूप आपको होना है।“व्यापक प्रकृति में पारगामी है”-यह सूत्र सार्वभौम-व्यवस्था तक पहुंचाता है। 40. सत्ता पारगामी होने से परमाणु में बल-सम्पन्नता, बल-सम्पन्नता से क्रियाशीलता, क्रियाशीलता-श्रम-गति-परिणाम के स्वरूप में है।