31. किंतु स्त्रीत्व पुंसत्व का विषय, उनका भेद कोई ऐसा नहीं कि सब बातें तुम्हें एक साथ मैं सुना सकूँ। 32. विचारणीय प्रश्न यह है कि किस प्रकार विष तत्व हमें नुकसान पहुँचा रहे हैं हम अपना पुंसत्व खोते जा रहे हैं? 33. कष्ट सहने की बात नहीं है पर लोगों को यह डर सताता है की नसबंदी से पुंसत्व पर कोई असर न पड़े. 34. मुनि वसिष्ठ ने उस इला को ही अपने तप के बल पर पुंसत्व प्रदान करते हुए सुद्युम्न रूप में परिणत कर दिया। 35. यह प्रत्यक्ष है और तुम भी कह चुके हो कि वृक्षलता, कीटानुकीट, जीव-जंतु सभी में स्त्रीत्व और पुंसत्व का भेद है। 36. अपने एक वर्ष के अज्ञातवास के समय ही तुम पुंसत्वहीन रहोगे और अज्ञातवास पूर्ण होने पर तुम्हें पुनः पुंसत्व की प्राप्ति हो जायेगी। ' 37. अपने एक वर्ष के अज्ञातवास के समय ही तुम पुंसत्वहीन रहोगे और अज्ञातवास पूर्ण होने पर तुम्हें पुनः पुंसत्व की प्राप्ति हो जायेगी।” 38. अपने एक वर्ष के अज्ञातवास के समय ही तुम पुंसत्वहीन रहोगे और अज्ञातवास पूर्ण होने पर तुम्हें पुनः पुंसत्व की प्राप्ति हो जायेगी।” 39. किंतु इतना हम जरूर मानते हैं कि स्त्रीत्व और पुंसत्व में जो भेद दिखाई देते हैं वे हीनता व श्रेष्ठता के द्योतक नहीं हैं। 40. तब अपने पुंसत्व को ताक में रख गुपचुप उन्हीं आदेशों का पालन करने में लगे थे, जो उनकी आत्मा पर बोझ बन गए होंगे।