31. गुणाढ्य पैशाची में बड्डकहा (संस्कृत: बृहत्कथा) नामक अनुपलब्ध आख्यायिका ग्रंथ के प्रणेता। 32. शौरसेनी, मागधी, पैशाची, चूलिका पैशाची और अपभ्रंश भाषाओं के विशेष लक्षण बतलाए हैं। 33. बाद में आचार्य हमेंन्द ने पैशाची और लाटी अधिक जोड़ दी, । 34. ये प्रवृत्तियाँ उस भाषा को पैशाची प्राकृत का पूर्व रूप इंगित करती हैं। 35. ये प्रवृत्तियाँ उस भाषा को पैशाची प्राकृत का पूर्व रूप इंगित करती हैं। 36. शौरसेनी, मागधी, पैशाची, चूलिका पैशाची और अपभ्रंश भाषाओं के विशेष लक्षण बतलाए हैं। 37. हेमचन्द्र ने दो प्रकार की पैशाची का वर्णन अपने प्राकृत व्याकरण में किया है। 38. इस प्रकार पैशाची में वर्णव्यवस्था अन्य प्राकृतों की अपेक्षा संस्कृत के अधिक निकट है। 39. पैशाची भाषा में विरचित गुणाढ्य कृत बृहत्कथा की भारतीय साहित्य में बड़ी ख्याति है।40. इस प्रकार पैशाची में वर्णव्यवस्था अन्य प्राकृतों की अपेक्षा संस्कृत के अधिक निकट है।