31. प्रापक सम्प्रेषित सूचना को सुनकर, पढक़र, देखकर या स्पर्श कर ग्रहण करते हैं।32. (3) संचारक और प्रापक के मध्य सीधा सम्पर्क और सम्बन्ध स्थापित होता है। 33. समय, काल व परिस्थिति के अनुसार संचारक और प्रापक की भूमिका बदलती रहती है। 34. दूसरी प्रक्रिया: संचार की दूसरी प्रक्रिया के अंतर्गत् संचारक और प्रापक को क्रमश: 35. प्रापक (Receiver): संदेश को ग्रहण करने में प्रापक का महत्वपूर्ण योगदान होता है।36. प्रापक (Receiver): संदेश को ग्रहण करने में प्रापक का महत्वपूर्ण योगदान होता है। 37. स्पष्टता: वह संदेश प्रापक को आसानी से समझ में आता है जिसमें स्पष्टता होती है। 38. संदेश के विश्वसनीय होने पर प्रापक के मन में संचारक के प्रति अच्छी छवि बनती है। 39. संचारक व प्रापक की भूमिका के परिवर्तन में संदेश की व्याख्या का महत्वपूर्ण स्थान होता है। 40. (4) संचारक के पास प्रापक को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त अवसर होता है।