31. आज हम इतने बहिर्मुख हो गये हैं कि बाह्य सफलताओं को, बाह्य विजय को ही असली विजय मानने लगे हैं। 32. दुःख अगर उद्वेग और आवेश देकर बहिर्मुख बनाता है, गलत प्रवृत्ति में घसीटता है तो वह पाप का फल है। 33. डायरी की अंतर्मुखता बनाम ब्लॉग का बहिर्मुख स्वभाव! ९. बलिदान: बलिदानी: भारतमाता की जय १ ०. 34. जीवन के सही प्रयोजन को जानने की अभीप्सा इसके अंदर जागती है, तब यह बहिर्मुख वृति का त्याग करती है। 35. जो बहिर्मुख लोग हैं, जो रजो-तमोगुण के संस्कार के हैं उन लोगों का अन्न अनिवार्य हो तो ही खाओ, नहीं तो उससे बचो। 36. प्रसिद्धि की वासना: आदमी को बहिर्मुख केर देती है, प्रसिद्धि की वासना में आदमी न करने जैसे काम केर लेता है … 37. जिनकी इन्द्रियाँ बहिर्मुख होती हैं, उनके पास कितने भी साधन क्यों न हों, उन्हें जीवन में दुःख और पराजय का ही मुँह देखना पड़ता है। 38. जो बहिर्मुख लोग हैं, जो रजो-तमोगुण के संस्कार के हैं उन लोगों का अन्न अनिवार्य हो तो ही खाओ, नहीं तो उससे बचो। 39. संक्षेप में बहिर्मुख इन्द्रियों को भड़काने वाली प्रवृत्ति भले ही कितनी भी बलवान क्यों न हो, लेकिन दैवी संपदा के समक्ष उसे घुटने टेकने ही पड़ते हैं। 40. इससे सिद्ध हुआ कि वस्तुत: शिव और शक्ति भिन्न भिन्न नही है, बल्कि अन्तर्मुख और बहिर्मुख द्रष्टि से एक ही महाशक्ति के दो नाम है।