31. 2 और सिपाहियों ने कांटों का मुकुट गूंथकर उसके सिर पर रखा, और उसे बैंजनी वस्त्र पहिनाया। 32. ऐश के बैंजनी पीले पत्तों की कालीन पर बैठकर वह कागज के प्यालों में थरमस से कॉफी उड़ेलती थी। 33. शान्त-गम्भीर बैंजनी कदली, जो नीचे पीली होने का सन्देह देती है और जिसमें से एक तीखी सुवास फूटती है; 34. इतने नम बैंजनी दाने मेरी परछाई में गिरते बिखरते लगातार कि जैसे मुझे आना ही नहीं चाहिए था इस ओर! 35. एक धनवान मनुष् य था जो बैंजनी कपड़े और मलमल पहिनता और प्रति दिन सुख-विलास और धूमधाम के साथ रहता था। 36. मैं देखता रहता सुबह की धूप में अपने बैंजनी रहस्यों को खोलकर रख देने वाले जंगली डेहलिया के फूलों का वैभव। 37. फिर वह पास ही उग आए हायसिन्थ्स में गया, क्योंकि परी ने वैसी ही हल्की बैंजनी सफेद फ्राक पहन रखी थी। 38. 20 इस तरह जब वे उसकी खिल्ली उड़ा चुके तो उन्होंने उसका बैंजनी वस्त्र उतारा और उसे उसके अपने कपड़े पहना दिये। 39. 17 फिर उन्होंने यीशु को बैंजनी रंग का वस्त्र पहनाया और काँटों का एक ताज बना कर उसके सिर पर रख दिया। 40. 5 तक यीशु कांटों का मुकुट और बैंजनी वस्त्र पहिने हुए बाहर निकला और पीलातुस ने उन से कहा, देखो, यह पुरूष।