31. श्री गणेशजी में माया और मायिक का योग होने से वे एकदंत कहलाते हैं। 32. शंकराचार्य ने अपने भाष्य में लिखा है कि सगुण साकार भगवान श्रीकृष्ण मायिक हैं। 33. ब्रम् ह का सुख लिमिटेड नहीं होता, मायिक नहीं होता समाप् त नहीं होता। 34. शिवत्व प्राप्त होने पर मायिक बंधन रूपी विघ्नों के महाध्वंस रूप गणेश का प्रादुर्भाव होगा। 35. तो स् वरूप शक्ति की कृपा से ये मायिक अन् तःकरण दिव् य बन जाता है। 36. गणेश जी में माया एवं मायिक का योग होने से श्रीगणेशजी को एकदन्तशब्द से कहते हैं। 37. तो स् वरूप शक्ति की कृपा से ये मायिक अन् तःकरण दिव् य बन जाता है। 38. यदि बुद्धि-विवेक या विचार से कोई निर्णय लेंगे तो वह मायिक क्षेत्र का ही छोटा-बड़ा निर्णय होगा; 39. मायिक स्तर पर शक्तियों के दुरुपयोग ने उनके तपस्या से अर्जित ज्ञान को नष्ट कर दिया था।40. मायिक स्तर पर शक्तियों के दुरुपयोग ने उनके तपस्या से अर्जित ज्ञान को नष्ट कर दिया था।