31. जो लोग झूटी बातों पर यकीन रखते हैं और अल्लाह के मुनकिर हैं तो वह लोग ज़ियाँ कर रहे हैं. 32. हालां कि वह ऐसे लोग हैं जो क़ाफ़िर और हक़ के मुनकिर हैं या बैअत के बाद उसे तोड़ देने वाले है। 33. ' ' और वह लोग खुदा के नेमत को पहचानते हैं, फिर इसके मुनकिर होते हैं, और ज्यादह तर इनमें न सिपास हैं। 34. अल्लाह किसी भी ऐसे आदमी को हिदायत (सही रास्ते की समझ) नहीं देता जो झूठा और मुनकिर (इंकार करने वाला) हो। 35. अति अभिमान में आकर ईशवरकी हस्ती और ईशवर हुकम से मुनकिर हो जाता है तब कुदरत-ऐ-कामिला उसकीहस्तीजल्द ही नाश करदेती है । 36. धीरे धीरे अल्लाह, रसूल और कुरानी फरमानों का मैं मुनकिर होता गया और ईमाने-अस्ल मेरा ईमान बनता गया कि कुदरती सच ही सच है. 37. अल्लाह की इस आयत पर वही लोग झगड़ने लगते हैं जो मुनकिर हैं, सो उनका चलना फिरना आप को शुबहे में न डाले. ” 38. अति अभिमान में आकर ईशवर की हस्ती और ईशवर हुकम से मुनकिर हो जाता है तब कुदरत-ऐ-कामिला उसकी हस्ती जल्द ही नाश करदेती है । 39. और जब तमाम इंसान इकट्ठे किए जाएंगे जो उस समय वे अपने पुकारने वालों के दुश्मन और उनकी इबादत के मुनकिर (इनकार करने वाले) होंगे । 40. क्या जो किताब मूसा को मिली थी तो क्या उस वक़्त ये उनके मुनकिर नहीं हुए? ये लोग तो यूं ही कहते हैं दोनों जादू हैं.