31. ये मेलानिन कण ही व्यक्ति विशेष के गोरं अथवा सांवले रंगत के लिए जिम्मेदार होते हैं । 32. इस रोग में चमडे में रंजक पदार्थ जिसे पिग्मेन्ट मेलानिन कहते हैं, की कमी हो जाती है। 33. वास्तव में त्वचा में “ मेलानिन ” की अधिक उपस्थिती से व्यक्ति विशेष को लाभ ही होता है। 34. त्वचा के रंग निर्धारित करने वाले “ मेलानिन ” कण मूलत: प्रोटीन के ही अंश होते हैं। 35. हमारे शरीर की त्वचा में “ मेलानिन ” की तादाद सूर्य की रोशनी के प्रमाण पर निश्चित होती है। 36. वैसे, हम भारतीयों की स्किन में मेलानिन पिग्मेंट ज्यादा होता है, जो अल्ट्रावॉयलेट किरणों को रोकता है। 37. रू? प-रंग का मुख्य आधार हमारी त्वचा में उपस्थित मेलानिन क? णों पर काफी निर्भर करता है। 38. बाद में जैसे जैसे उनमें मेलानिन का उत्पादन अधिक होता जाता है, उनकी आंखों का रंग बदलता जाता है. 39. ये मेलानिन नाम की एक वर्णक (पिगमेंट) को बनाती हैं जिससे हमारे त्वचा को रंग मिलता है। 40. मेलानिन त्वचा को सूर्य की किरणों में निहित पराबैंगनी किरणों (अल्ट्रावायलट रे) के हानिकारक प्रभाव से बचाता है।