31. कविता के द्वारा हम संसार के सुख, दुःख, आनन्द और क्लेश आदि यथार्थ रूप से अनुभव कर सकते हैं। 32. हन्सेन और बोल ने 1950 ई. में बहुत ही यथार्थ रूप से इस मान को 2,99,789.6 किमी. प्रति सेकंड निकाला। 33. हन्सेन और बोल ने 1950 ई. में बहुत ही यथार्थ रूप से इस मान को 2,99,789.6 किमी. प्रति सेकंड निकाला। 34. इस संसार में वह यथार्थ रूप से मनुष्य है जो सारे प्राणियों को अपनी आत्मा की भांति देखने वाला मानता है। 35. इस संसार में वह यथार्थ रूप से मनुष्य है जो सारे प्राणियों को अपनी आत्मा की भांति देखने वाला मानता है। 36. चीनी कृषि मंत्रालय आदि सात मंत्रालयों ने हाल में किसानों के बोझ को यथार्थ रूप से कम करने की मांग की। 37. कविता के द्वारा हम संसार के सुख, दुःख, आनन्द और क्लेश आदि यथार्थ रूप से अनुभव कर सकते हैं। 38. जीव कहाँ से आता है और कहाँ जाता है इस विषय को यथार्थ रूप से केवल सत्गुरु हृदयांकित करा सकता है. 39. बाइबल में यीशु के बारे में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि उसने यथार्थ रूप से ये शब्द कहें, “मैं परमेश्वर हूँ ।” 40. हन्सेन और बोल ने 1950 ई. में बहुत ही यथार्थ रूप से इस मान को 2,99,789.6 किमी. प्रति सेकंड निकाला।