31. स्वयं तांडव नृत्य करते हैं और पार्वती को लास्य नृत्य की शिक्षा देते हैं। 32. यह उमा-माहेश्वर कि ग्यारहवी शताब्दी में निर्मित लास्य शैली कि प्रतिमा है.. 33. इस शैली का प्रथम लास्य नृत्य इन्द्र के विजय-ध्वजारोहण समारोह पर किया गया था। 34. प्राचीन नृत्य-शैलियों के दो प्रकार प्रचलित थे, एक ताण्डव नृत्य और दूसरा लास्य नृत्य। 35. चिकनाई यानि चोपड़ जिसे शुद्ध भाषा में चिक्कण या लास्य कहा जाता है वही । 36. लेकिन लास्य भी है, जो गिरावट में मनुष्य को निकम्मा बना देता है । 37. शिवजी द्वारा तंडु नामक भूतगण को प्रदत्त तांडव तथा पार्वती देवी से प्रदत्त लास्य है। 38. ' असाध्य वीणा' का मौन और मौन तोडक़र पूरी संसृति की संगिनी प्रकृति-लय का लास्य सौन्दर्य। 39. अंग-अंग मॅ लहर लास्य की राग जगानेवाली, नर के सुप्त शांत शोणित मॅ आग लगानेवाली. 40. लेकिन लास्य भी है, जो गिरावट में मनुष्य को निकम्मा बना देता है ।