31. सरल और ओजस्वी भाषा में विचारपूर्ण निबंध और विभिन्न विषयों की तर्कपूर्ण व्याख्या उनकी लेखन-शैली के विशेष गुण हैं। 32. “हंस” में प्रकाशित अपनी पहली कहानी बेल-पत्र (१९८७) से अब तक वे अपनी विशेष लेखन-शैली के लिये जानी जाती हैं। 33. इक्का-दुक्का लोगों के पास ही भाषा-शैली और लेखन-शैली को समझा पाने का गुण है, जिनमें से एक कुंवर जी हैं. 34. र इनकी लेखन-शैली वर्णणात्मक थी जिसमें पात्र के प्रत्येक मनोवैज्ञानिक सोच का विवरण लुभावने तरीके से किया होता था । 35. लेखन-शैली इनकी लेखन-शैली वर्णणात्मक थी जिसमें पात्र के प्रत्येक मनोवैज्ञानिक सोच का विवरण लुभावने तरीके से किया होता था ।36. लेखन-शैली इनकी लेखन-शैली वर्णणात्मक थी जिसमें पात्र के प्रत्येक मनोवैज्ञानिक सोच का विवरण लुभावने तरीके से किया होता था । 37. र इनकी लेखन-शैली वर्णणात्मक थी जिसमें पात्र के प्रत्येक मनोवैज्ञानिक सोच का विवरण लुभावने तरीके से किया होता था । 38. इनकी लेखन-शैली प्रेमचंद से काफी मिलती थी और इन्हें आजादी के बाद का प्रेमचंद की संज्ञा भी दी जाती है । 39. इनकी लेखन-शैली प्रेमचंद से काफी मिलती थी और इन्हें आजादी के बाद का प्रेमचंद की संज्ञा भी दी जाती है । 40. इनकी लेखन-शैली प्रेमचंद से काफी मिलती थी और इन्हें आज़ादी के बाद का प्रेमचंद की संज्ञा भी दी जाती है ।