31. चुपचाप जाके हुक्का भरकर ल्या .. ताजी तंबाकू का.... जब तक मैं तुझे कबीर दास का चिट्ठाकाल पढवाता हूं. 32. उसने कहा, राजस्थान की परम्परा तो सदियों से पीने-पिलाने की रही है, 'भर ल्या ऐ कल्हाली दारू दाखां री...पधारो म्हारे देस' । 33. या फिर ‘ चलो रे नीबू सानते हैं …जा रे हरिया एक निमू तोड़ ल्या तो और दुई जाड़ मुलैक लै लिये. ' 34. या फिर ' चलो रे नीबू सानते हैं …जा रे हरिया एक निमू तोड़ ल्या तो और दुई जाड़ मुलैक लै लिये.' 35. उसने कहा, राजस्थान की परम्परा तो सदियों से पीने-पिलाने की रही है, ' भर ल्या ऐ कल्हाली दारू दाखां री... 36. बहुत जोर जबरदस्ती करने पर नींद में ही बोल पड़े, दादा (पिताजी को दादा बोलते थे) हम न घूमब तू घूम ल्या । 37. रे लंगङों थम बैठे हो यहाँ इब तो मौज लेण की टेम आई है ल्या रे बाबू मेरे भी ढक्कन भर पूरी तो.... 38. अब उसका ल्या होगा? और मेरी किताब काहे नहीं छापी? ब्लॉग सुन्दरी कैसे बने-ऊँट और गधी के दूध सहित सौ नुस्खे.... 39. या फिर ‘ चलो रे नीबू सानते हैं … जा रे हरिया एक निमू तोड़ ल्या तो और दुई जाड़ मुलैक लै लिये. ' 40. भाई थम चाहे जो बनाल्यो पर वो माणस तो योगीन्द्र मोदगिल ही था क्योंकि इतनी दूर की कौडी कोई कवि ही ल्या सके सै!