31. वरना सामंजस्य पर इतना जोर क्यों? अनेक विचारक वर्णभेद को नस्लभेद के रूप में चित्रित करते हैं। 32. बहुत लोगों ने वर्णभेद के कारण उत्पन्न अपनी जिन्दगी के तमाम दुखों से छुटकारा पा लिया था. 33. किंतु श्रेणि के साथ किए समझौते के उल्लंघन को लेकर उसने वर्णभेद की ओर इशारा नहीं किया है. 34. आज भी देश में वर्ग और वर्णभेद उसी तरह हिलोरे मार रहा है जैसा कि आजादी के पहले था। 35. इन व्यवस्थाओं के बावजूद इनके भीतर रहनेवाले लोगों में भी वर्णभेद बने रहे और सामाजिक व्यवस्था भी बनी रही। 36. सांस्कृतिक टकराव, जड़ों में जमा अन्याय, वर्णभेद , आत्मद्रोह, आत्मद्वन्द्व की स्थितियाँ इनके साहित्य में बहुतायत से हैं। 37. प्रत्यक्ष और अप्रतक्ष वर्णभेद से लड़ने की कीमत अधिक नहीं होती लेकिन इसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है. 38. शायद वे भूल गईं कि सोमई बहू की जाति क्या है, या पिफर उसकी महानता के आगे वर्णभेद गौण हो गया था। 39. षटकर्मों के देवताओं का वर्णभेद : वशीकरण, आकर्षण व क्षोभण कार्यों के लिये देवता का शुभ्र वर्ण में ध्यान करना चाहिये। 40. जातिभेद और वर्णभेद से उत्पन जिस हलाहल को अंबेडकर ने पिया, उसकी पीड़ा को कई दशक बाद कांशीराम ने भी महसूस किया।