31. अंजना देवराज इंद्र की सभा में पुंचिकस्थला नाम की अप्सरा थी जिसको ऋषि श्राप के कारण पृथ्वी पर वानरी बनना पड़ा। 32. लो, वह देखो, वानरी ध्वजा दूर से दिखायी पडती है, पार्थ के महारथ की घर्घर आवाज सुनायी पडती है. 33. उस युद्ध में सुग्रीव ने अपनी वानरी सेना के साथ विशेष शौर्य का प्रदर्शन करके सच्चे मित्र धर्म का निर्वाह किया। 34. उस युद्ध में सुग्रीव ने अपनी वानरी सेना के साथ विशेष शौर्य का प्रदर्शन करके सच्चे मित्र धर्म का निर्वाह किया। 35. हे मुनिवर! वानरी सेना मेैंने नारद जी आगे बोले, ‘‘ जिनके द्वारा साधक की प्रत्येक कामना पूर्ण हो सकती है। 36. वात-व्याधि-जनित बाहु की पीड़ा केवाँच की लता के समान है, उसकी उत्पन्न हुई जड़ को बटोरकर वानरी खेल से उखाड़ डालिये ।।२४।। 37. लो, वह देखो, वानरी ध्वजा दूर से दिखायी पडती है, पार्थ के महारथ की घर्घर आवाज सुनायी पडती है. 38. ऋषि की तपस्या भंग हो गई तो उन्होंने श्राप दे दिया कि वानरी की तरह स्वभाव करने वाली जा तू वानरी हो जा। 39. ऋषि की तपस्या भंग हो गई तो उन्होंने श्राप दे दिया कि वानरी की तरह स्वभाव करने वाली जा तू वानरी हो जा। 40. ऋषि की तपस्या भंग हो गई तो उन्होंने श्राप दे दिया कि वानरी की तरह स्वभाव करने वाली जा तू वानरी हो जा।