31. वाह क्या सुन्दर रचना लिखी है. उम्दा. वाह! वाह! वाह! शुक्रिया.-कुछ ग़मों के दीये 32. वाह क्या सुन्दर रचना लिखी है. उम्दा. वाह! वाह! वाह! शुक्रिया.-कुछ ग़मों के दीये 33. गौ. दा.: वाह! वाह! अंधेर नगरी चौ पट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा (यही 34. ' बहाने बहाने बहाने बहाने न आना था फिर भी हजारों बनाये ' वाह! वाह! वाह! बहुत सुन्दर! 35. समीर भाई-चाँद डायरी नही बदलता रोज मुखड़ा ही बदल लेता है वाह! वाह! वाह! क्या जोरदार शिल्प है। 36. रोचक नाटक! पात्रों का नाम ऐसा है कि बार बार भूल जा रही. अत्यंत रोचक.... वाह! वाह! 37. वाह! वाह! वाह! देहाती जी एक बार फिर आपने धमाकेदार तरीके से आगाज़ किया है वाकी काबिले तारीफ! 38. वाह! वाह! वाह! वाह! शख्स हर पल सोचता कुछ और है वक्त की लेकिन रज़ा, कुछ और है बहुत ख़ूब! 39. वाह! वाह! वाह! वाह! शख्स हर पल सोचता कुछ और है वक्त की लेकिन रज़ा, कुछ और है बहुत ख़ूब! 40. सादर. अत्यंत रोचक.... वाह! वाह! सादर. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,दीदी. बहुत दिनों के बाद... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,दीदी.