31. विधना कहे द्वार पर आकर, अपना भाग्य स्वयं तू लिख रे-बाबा रे!32. क्या जानता था कि विधना मेरे लिए कोई दूसरा ही षड्यंत्र रच रहा है, 33. सजन सकोरे जायंगे नेन मरेंगे रोई विधना ऐसी रेन कर भोर कबहूँ न होई.......................... 34. खैर तुलसी बाबा ने कहा है यश अपयश जीवन मरण सब विधना के हाथ । 35. अंत में विधना का खेल ही चलता है. करम गति टारे न टरे.... 36. नहचै रहौ निसंक, मत कीजै चळ विचळ मन | ऐ विधना रा अंक,राई घटै न राजिया || 37. पितृ के सम्मान के मातृ के आदेश के भातृ के बिछोह के विधना में धैर्य के 38. ‘हे विधना तोसों अँचरा पसारि माँगौ जनम जनम दीजो याही ब्रज बसिबो ' पद इन्हीं का है. 39. बहुत दुखद और अफसोसनाक है यह घटना. विधना के इस विधान के आगे हमारा जोर कहाँ चलता है. 40. पर विधना को मंजूर न था दो साल बाद ही पति का दुर्घटना में देहांत हो गया।