31. निगरानी न्यायालय को केवल यह देखना है कि क्या प्रष्नगत आदेष में कोई विधिक त्रुटि या कोई तात्विक अनियमितता है या नहीं। 32. ऐसी स्थिति में निम्न न्यायालय द्वारा मामल सिविल प्रकृति का होने के कारण प्रार्थनापत्र निरस्त करने में कोई विधिक त्रुटि नहीं की है। 33. निम्न न्यायालय द्वारा पारित निर्णय में किसी तरह की कोई विधिक त्रुटि नहीं है, इसलिये निम्न न्यायालय का निर्णय पुष्ट होने योग्य है। 34. अतः निम्न न्यायालय द्वारा पक्षकारों के हक के हिस्से को निर्धारित करने के निर्णय में किसी तरह की कोई विधिक त्रुटि नहीं की है। 35. अवर न्यायालय ने आहत साक्षी जसवंत सिंह के सशपथ बयान को मात्र अपनी कल्पना के आधार पर नकारकर अत्यंत गंभीर विधिक त्रुटि की है। 36. इस आदेश में कोई विधिक त्रुटि नहीं हैं और ना हीं विद्वान अधिवक्ता निगरानीकर्ता ऐसी किसी त्रुटि को दिखाने में सफल ही रहे हैं। 37. ऐसी दशा में उपरोक्त प्रार्थनापत्र को निरस्त किये जाने संबंधी आदेश में किसी प्रकार की कोई विधिक त्रुटि या अनियमितता नहीं की गयी है। 38. प्रश्नगत आदेश में कोई विधिक त्रुटि नहीं हैं और ना हीं ऐसी किसी त्रुटि को विद्वान अधिवक्ता निगरानीकर्ता दिखाने में सफल ही रहे हैं। 39. प्रश्नगत आदेश में कोई विधिक त्रुटि नहीं हैं और ना हीं विद्वान अधिवक्ता निगरानीकर्ता ऐसी किसी त्रुटि को दिखाने में ही सफल रहे हैं। 40. प्रश्नगत आदेश में को भी विधिक त्रुटि नहीं हैं और ना हीं विद्वान अधिवक्ता निगरानीकर्ता ऐसी कोई कानूनी त्रुटि दिखाने में सफल रहे हैं।