31. मंदादरा: संति“ और ”अनुपमं काश्मीरसौंदर्य दृष्टम्” आदि में समास होगा; क्योंकि निषेध विधेयात्मक नहीं है। 32. उसका विधेयात्मक पक्ष दया, करुणा, सेवा, सहायता के रूप में उदित होता है। 33. जैसा हम सोचते हैं, विधेयात्मक या निषेधात्मक, हमारा आभामंडल वैसा ही बनता चला जाता है। 34. ईश्वर की अवधारणा के विधेयात्मक पक्ष को देखें तो मनुष्य में ही ऐश्वर्य की सम्भावनाएँ निहित हैं। 35. व्यक्ति में विधेयात्मक एवं वांछित आचार-व्यवहार तभी दृष्टिगत होंगे जबकि पूर्वजन्म या जन्मान्तर में उसकी आस्था होगी। 36. ये सभी नियम रेकी साधक को विधेयात्मक बनाते हैं, जिनकी वजह से प्राण प्रवाह नियमित रहता है। 37. प्राकृतिक शिथिलीकरण एवं आत्मनिर्देश से उत्पन्न हुई शिथिलता अंग-प्रत्यंगों में नवशक्ति का सदुपयोग विधेयात्मक क्षेत्र में करना चाहिए। 38. अन्यत्र “अब्राह्मणा: वेदाध्ययने मंदादरा: संति” और “अनुपमं काश्मीरसौंदर्य दृष्टम्” आदि में समास होगा; क्योंकि निषेध विधेयात्मक नहीं है। 39. (४) बालकों को निषेधात्मक कार्य की अपेक्षा विधेयात्मक कार्यों का स्मरण दिलाना अधिक श्रेयस्कर है । 40. उन्होंने जहाँ प्रचलित धर्म और रीति-नीति की आलोचना की है वहीं अनेक विधेयात्मक उपदेश भी दिये हैं ।