लेकिन, अन्तर यह है कि हास्य में यह वैपरीत्य साधारण होता है और उसका कारण भी यत्किंचित ज्ञात रहता है, जबकि अद्भुत में वैपरीत्य का परिमाण अपेक्षाकृत अधिक होता है और उसका कारण भी अज्ञात रहता है।
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लेकिन, अन्तर यह है कि हास्य में यह वैपरीत्य साधारण होता है और उसका कारण भी यत्किंचित ज्ञात रहता है, जबकि अद्भुत में वैपरीत्य का परिमाण अपेक्षाकृत अधिक होता है और उसका कारण भी अज्ञात रहता है।
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राव साहब, नैसर्गिक वैपरीत्य का काल है, भ्रमर कुमुदिनियों पर जा रहे हैं, भंवर / भ्रमर-जाल बन रहा है, एक कुमुदिनी एक भौंरे को चार कवर में खा रही है = टीपों की संख्या सौ जा रही है!
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“ जनभाषा है हिन्दी, जनभाषा बने हिन्दी ”-अनगिनत बार कहे जाने वाले इन वाक्यों में एक अनोखा वैपरीत्य नजर आता है मुझे-एक आइरोनी (Irony)-बिलकुल हिन्दी दिवस के रूप में उपस्थित एक जीवंत आइरोनी की तरह ।
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यह विरोध क्या है? कैसे दो फल एक ही क्रिया के एक अपर से, इस प्रकार, प्रतिकूल हुआ करते हैं? सोचा है, यह प्रेम कहीं क्यॉ दानव बन जाता है, और कहीं क्यॉ जाकर मिल जाता रहस्य-चिंतन से? काम नहीं, इस वैपरीत्य का भी मन ही कारण है.
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ऐसे में व्यक्ति पूजा खूब फलती-फूलती है! इसी एवज में अयोग्य, योग्यता से इतर हथकंडे अपनाकर, समाज में अपने आप को योग्य साबित कराते रहते हैं! इसपर लोगों को बोलते रहना चाहिए! @ प्रतुल जी, आपका कविता में कथित प्रयोजन और कुमार विश्वास के वर्तमान के आयोजन में बड़ा वैपरीत्य है!
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और शायद उसने उसे पाया भी ; क्योंकि बहुत वर्षों बाद, अपने जीवन के घोरतम अन्धकारमय दिनों में भी, जब वह अपने सब ओर के विरोधों से त्रस्त हो उठता, तब एकाएक कोई आलोक-किरण उस अन्धकार को चीर जाती और वे सब वैपरीत्य, उलझनें इस हद तक हल हो जातीं कि एक ही महान् एकत्व के विभिन्न अंग जान पड़ने लगतीं...
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लेकिन जितना ही ज्यादा ऐसा होगा उतनी ही ज्यादा मनुष्य प्रकृति के साथ अपनी एकता न केवल महसूस करेंगे बल्कि उसे समझेंगे भी और तब यूरोप में प्राचीन क्लासिकीय युग के अवसान के बाद उद्भूत होने वाली ईसाई मत में सब से अधिक विशद रूप में निरूपित की जाने वाली मस्तिष्क और भूतद्रव्य, मनुष्य और प्रकृति, आत्मा और शरीर के वैपरीत्य की निरर्थक एवं अस्वाभाविक धारणा उतनी ही अधिक असम्भव होती जायेगी।
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लेकिन जितना ही ज्यादा ऐसा होगा उतनी ही ज्यादा मनुष्य प्रकृति के साथ अपनी एकता न केवल महसूस करेंगे बल्कि उसे समझेंगे भी और तब यूरोप में प्राचीन क्लासिकीय युग के अवसान के बाद उद्भूत होने वाली ईसाई मत में सब से अधिक विशद रूप में निरूपित की जाने वाली मस्तिष्क और भूतद्रव्य, मनुष्य और प्रकृति, आत्मा और शरीर के वैपरीत्य की निरर्थक एवं अस्वाभाविक धारणा उतनी ही अधिक असम्भव होती जायेगी।
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तन्मयता के कारण भ्रम या आत्मविस्मृति घटती है और आत्मविस्मृति की अवस्था में परस्पर का सुख वधन करने की वर्धमान चरम उत्कण्ठा के कारण उनकी स्वाभाविक चेष्टाओं का अनजाने वैपरीत्य घटता है, अर्थात कान्ता का भाव और आचरण कान्त में, और कान्त का भाव और आचरण कान्ता में सञ्चारित होता है, जैसे साधारण रूप से कृष्ण वंशी बजाते हैं और राधा नृत्य करती हैं, पर विहार-वैपरीत्य में राधा वंशी बजाती हैं, कृष्ण नृत्य करते हैं।
वैपरीत्य sentences in Hindi. What are the example sentences for वैपरीत्य? वैपरीत्य English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.