31. शास्त्रकार ने आदर्श चित्र का प्रमुख गुण यह बताया है कि वह चित्र सजीवहोना चाहिये.32. शास्त्रकार कहते हैं कि मनुष्य से श्रेष्ठ इस संसार में और कुछ नहीं हैं ।33. शास्त्रकार कहते हैं कि मनुष्य से श्रेष्ठ इस संसार में और कुछ नहीं हैं ।34. ललित कलाओं सम्बन्धी विवेचन प्रारम्भ करते हुए शास्त्रकार ने कलाओं मेंमूलभूत दर्शन की ओर संकेत किया. 35. शास्त्रकार ने बारह प्रकार के काले रंग और पांचप्रकार के श्वेत रंग इस संदर्भ मे बताये.36. ये शास्त्रकार तर्क एवं विवेक से काम लेने के बदले अपनी-अपनी परंपरा का पोषण करते हैं। 37. शास्त्रकार ने मान और पारस्परिक अनुपात ही नहीं आकृतियों के रूप औरलक्षणों का का भी वर्णन किया.38. इस शास्त्र के अनुसार तत्वों का विचार करने में लौकिक दृष्टि से दूर भी शास्त्रकार जाते हैं। 39. इस शास्त्र के अनुसार तत्वों का विचार करने में लौकिक दृष्टि से दूर भी शास्त्रकार जाते हैं। 40. ३. शास्त्रकार एवं प्रकाशक:-संगीत शास्त्रकारों का संगीत कला के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।