31. अष्टाध्यायी में वैदिक संस्कृत और पाणिनि की समकालीन शिष्ट भाषा में प्रयुक्त संस्कृत का सर्वांगपूर्ण विचार किया गया है। 32. अष्टाध्यायी में वैदिक संस्कृत और पाणिनि की समकालीन शिष्ट भाषा में प्रयुक्त संस्कृत का सर्वांगपूर्ण विचार किया गया है। 33. देवनागरी लिपि में लिखित संस्कृत भारतीय शिष्टों की शिष्ट भाषा और धर्मभाषा के रूप में तब कुंठित हो गई। 34. अष्टाध्यायी में वैदिक संस्कृत और पाणिनि की समकालीन शिष्ट भाषा में प्रयुक्त संस्कृत का सर्वांगपूर्ण विचार किया गया है। 35. अपभ्रंश भाषा-अर्थात् यह शौरसेनी अपभ्रंश पंजाब से बंगाल तक और नेपाल से महाराष्ट्र तक साधाारण शिष्ट भाषा अैर साहित्यिक भाषा बनी। 36. हिन्दी में भी हम विरोध प्रदर्शन या किसी खंडन के लिए मर्यादित और शिष्ट भाषा का प्रयोग कर सकते हैं... 37. अब आप ही अंदाजा लगाइये जो किसी के बारे में शिष्ट भाषा का इस्तेमाल तक नहीं कर सकते वे कितने पड्यंत्रकारी होंगे। 38. उनका सारा शोध अंग्रेजी कुंजियों (शिष्ट भाषा -भाष्य) पर आधारित होता है और रोमन ट्रांसलिटरेशन में मूल को क़ोट करते हैं। 39. उनका सारा शोध अंग्रेजी कुंजियों (शिष्ट भाषा -भाष्य) पर आधारित होता है और रोमन ट्रांसलिटरेशन में मूल को क़ोट करते हैं। 40. शिष्ट भाषा का प्रयोग करने के लिये भाषाशास्त्री बनने की जरूरत नहीं है, अपितु केवल सभ् य बनने की जरूरत है।