31. नए समाज में इन संबंधों, अंतक्रियाओं का नियंत्रण किस प्रकार संभव होगा? इस बारे में श्रमिकसंघवाद मौन रह जाता है. 32. इसलिए राज्यसत्ता का विरोध करते हुुए श्रमिकसंघवाद , उसे श्रमिक संगठनों के लोकतांत्रिक संगठनों द्वारा अनुशासित किए जाने का सुझाव देता है. 33. इसकी पूरक विचारधाराओं के रूप में हम ‘ समष्ठिवाद ', ‘ अराजकतावाद ', ‘ श्रमिकसंघवाद ', सहजीवितावाद को ले सकते हैं. 34. श्रमिकसंघवाद का उद्देश्य समस्त श्रमिकों को एक झंडे, एक संगठन के रूप में संगठित करना है, जिसपर उसके साधारण से साधारण सदस्य का नियंत्रण हो.35. व्यावसायिक संगठनवादी आंदोलन के विकल्प के रूप में जन्मा श्रमिकसंघवाद अपने लक्ष्य को पाने के लिए केवल हड़ताल और श्रमिक आंदोलन को पर्याप्त मानता था. 36. उसको वहां पर ‘ क्रांतिकारी श्रमिकसंघवाद ' अथवा ‘ श्रमिकसंघवाद ' कहा गया, जो कालांतर में केवल श्रमिकसंघवाद के नाम से पहचाना जाने लगा. 37. उसको वहां पर ‘ क्रांतिकारी श्रमिकसंघवाद ' अथवा ‘ श्रमिकसंघवाद ' कहा गया, जो कालांतर में केवल श्रमिकसंघवाद के नाम से पहचाना जाने लगा. 38. उसको वहां पर ‘ क्रांतिकारी श्रमिकसंघवाद ' अथवा ‘ श्रमिकसंघवाद ' कहा गया, जो कालांतर में केवल श्रमिकसंघवाद के नाम से पहचाना जाने लगा. 39. श्रमिकसंघवाद की आलोचना कर रहे कुछ समाजवादी विचारकों का मानना था कि पूंजीवाद के विरुद्ध लड़ाई संसदीय बहुमत प्राप्त करके ही जीती जा सकती है.40. समाजवाद, अराजकतावाद और समाजवाद की भांति श्रमिकसंघवाद भी मानता है कि श्रमिक वास्तविक उत्पादक हैं, इसलिए उत्पादन का लाभ उनको मिलना ही चाहिए.