31. संजीव जी, इस बात पर अब तक ध्यान इसलिए नहीं गया था क्योंकि यह हमारे दैनिक सहजबोध का हिस्सा है। 32. यह सहजबोध रोज़-ब-रोज़ की ज़िन्दगी के विश्वासों, मनोरंजन के साधनों और साहित्य तथा संस्कृति में भी परिलक्षित होता है. 33. फिर भी कैकयी की करनी का दोष जनसामान्य के सहजबोध को कुंठित करने के लिए मंथरा को दिया जाता गया. 34. बहुत सचेत तौर पर पूरे स्त्री जीवन, उसके सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश और उसे लेकर बने सहजबोध को प्रश्नांकित करते हैं. 35. मैं व्यक्तिगत रूप से धार्मिक प्रतीकों का कभी प्रयोग नहीं करता क्योंकि वे मेरे सहजबोध का हिस्सा ही नहीं रहे. 36. शायद तभी हम उस सहजबोध को खारिज कर सकेंगे, जिसके तहत आतंकवाद और धर्म-विशेष में गहरा रिश्ता ढूंढ़ लिया जाता है। 37. (आपने इन सहजवृत्तियों के लिए अपने प्रश्न में सहजबोध शब्द काम में लिया है, ये दोनों पर्यायवाची नहीं हैं) 38. और स्त्रियों के बारे में इस समाज के सहजबोध के बारे में तो खैर कुछ कहने की जरूरत थी ही नहीं. 39. अपने यहां भी यही सहजबोध व्याप्त है कि आतंकवाद के लिए समुदाय विशेष के लोग या किसी विशेष मान्यता वाले लोग जिम्मेदार हैं। 40. वैश्वीकरण का यह सहजबोध हमारे जीवन में इस कदर रच बस गया है कि सभी समझते हैं कि हम इसे पहले से समझते है।