31. व्यापार एक निरन्तर प्रक्रिया थी सो व्यापारियों के कारवाँ वर्षाकाल को छोड़कर सालभर गतिशील रहते थे जिन्हें सार्थ या सार्थवाह कहते थे। 32. मेरी कामना है कि आपके शब्दों को नए अर्थ, नए रूप और विराट संप्रेषण मिलें जिससे वे जन-सरोकारों के समर्थ सार्थवाह बन सकें....... 33. ... सार्थवाह का अर्थ हुआ, जो समूह को अपने साथ ले जाए वह है सार्थवाह अर्थात् दलपति, मीरे कारवाँ या व्यापारी दल का प्रमुख। 34. ... सार्थवाह का अर्थ हुआ, जो समूह को अपने साथ ले जाए वह है सार्थवाह अर्थात् दलपति, मीरे कारवाँ या व्यापारी दल का प्रमुख। 35. मेरी कामना है कि आपके शब्दों को नए अर्थ, नए रूप और विराट संप्रेषण मिलें जिससे वे जन-सरोकारों के समर्थ सार्थवाह बन सकें....... 36. सार्थवाह का अर्थ हुआ, जो समूह को अपने साथ ले जाए वह है सार्थवाह अर्थात् दलपति, मीरे कारवाँ या व्यापारी दल का प्रमुख।37. सार्थवाह का अर्थ हुआ, जो समूह को अपने साथ ले जाए वह है सार्थवाह अर्थात् दलपति, मीरे कारवाँ या व्यापारी दल का प्रमुख। 38. स्पष्ट है कि सार्थवाह का अर्थ हुआ, जो समूह को अपने साथ ले जाए वह है सार्थवाह अर्थात् दलपति, मीरे कारवाँ या व्यापारी दल का प्रमुख। 39. स्पष्ट है कि सार्थवाह का अर्थ हुआ, जो समूह को अपने साथ ले जाए वह है सार्थवाह अर्थात् दलपति, मीरे कारवाँ या व्यापारी दल का प्रमुख। 40. “मैं भी इससे सहमत हूँ. सार्थवाह हमारा कर्तव्य आपकी रक्षा करना है और वह हम यहाँ पर शत्रु को रोक कर बेहतर कर सकते है.”अतिरथ ने कहा.