31. और वह है सुख पाने की आकांशा इसलिए सुखवाद के अनुसार शुभ की परिभाषा है सुख। 32. जा॓न काल्विन के बाद बैंथम ने सुखवाद को एक दर्शन के रूप में विस्तार दिया. 33. पाश्चात्य विचारकों * मिल और बेन्थम ने इस सुखवाद पर विस्तार से प्रकाश डाला है. 34. आगे चलकर रिकार्डो ने भी ‘ सुखवाद ' के सिद्धांत की अर्थशास्त्रीय दृष्टिकोण से व्याख्या की. 35. भारत की गरीब जनता जिस सुखवाद की छाया के नीचे बसर करती है उसका प्रतीक है रमुआ। 36. भारत की गरीब जनता जिस सुखवाद की छाया के नीचे बसर करती है उसका प्रतीक है रमुआ। 37. ट्रोलेण्ड ने तीन प्रकार के सुखवाद का उल्लेख किया है-वर्तमान, भविष्य और अतीत का। 38. डार्विन के “प्राकृतिक चुनाव के नियम” से प्रेरणा लेकर हर्बर्ट स्पेंसर एक नया विकासात्मक सुखवाद प्रस्तुत किया। 39. दर्शन की प्रयोजनवाद, विज्ञानवाद, उपयोगितावाद, सुखवाद और अस्तित्ववाद जैसी शाखाओं का उद्भव इसी दौर की घटना है. 40. बैंथम ने स्वयं स्वीकार किया है कि उसका सुखवाद का सिद्धांत पूरी तरह मौलिक नहीं था.