31. एक विरोधाभासात्मक समीक्षा में कतिपय सूक्ष्मजीवों का स्वप्रतिरक्षी रोगों के साथ शक्तिशाली संबंध देखा गया है. 32. स्वप्रतिरक्षी रोग के उपचार पारम्परिक रूप से प्रतिरक्षाशामक, शोथविरोधी, या सांत्वनात्मक रहे हैं.33. वर्ग II एमएचसी (MHC) प्रोत्साहकों की बहुरूपताओं और स्वप्रतिरक्षी रोग के बीच संबंध हो सकते हैं. 34. जिन क्षेत्रों में अनेक संक्रामक रोग स्थानिक होते हैं, वहां स्वप्रतिरक्षी रोग काफी कम होते हैं. 35. रक्तिम त्वचायक्ष्मा या गठियारूप संधिशोथ जैसे स्वप्रतिरक्षी रोग का स्वस्थ कोलेजन तंतुओं पर हमला हो सकता है. 36. ऐसी पदभ्रमित प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया के कारण होने वाले किसी भी रोग को स्वप्रतिरक्षी रोग कहते हैं. 37. रक्तिम त्वचायक्ष्मा या गठियारूप संधिशोथ जैसे स्वप्रतिरक्षी रोग का स्वस्थ कोलेजन तंतुओं पर हमला हो सकता है. 38. एक विरोधाभासात्मक समीक्षा में कतिपय सूक्ष्मजीवों का स्वप्रतिरक्षी रोगों के साथ शक्तिशाली संबंध देखा गया है. 39. जिन क्षेत्रों में अनेक संक्रामक रोग स्थानिक होते हैं, वहां स्वप्रतिरक्षी रोग काफी कम होते हैं. 40. [7] गर्भधारण का इतिहास भी स्वप्रतिरक्षी रोग के सतत अधिक जोखम छोड़ता प्रतीत होता है.