जेसे पारद स्वर्ण ग्रहण करते करते एक समय तृप्त होके वापस स्वर्ण बहा देता हे और वो इस पारस की स्थिति को प्राप्त करने के बाद कितना भी स्वर्ण बहाने पर उसमे स्वर्ण की कोई कमी नहीं आती क्यूँ की वो खुद ही स्वर्णमय बन जाता हे.
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भगवान् शर की जो नासिका, कर्णाभरण के रूप में गुंथे हुए अनेक प्रकार के मणिगणों की कान्ति के जाल से व्याप्त है, स्वयं जो नासिका स्वर्णमय कमल के मय स्थित कखणका के समान है, जिसमें निरन्तर प्राणवायु का ;पूरक कुम्भक व रेचक द्वाराद्ध स ार होता रहता है।
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उधर कोई स्वर्णमय मृग है वहाँ कोई बसा स्वर्ग है विदेश में हमारी गरज है यह ख्याली पुलाव पकाता आदमी पलायन के लिये लगता है तड़पने शरीर इधर पडा आत्मा भटके उधर दिल यहाँ दिमाग वहां देश में बैठे-बिठाए जागती आंखों से विदेशों के काल्पनिक दृश्य उसे लगते हैं अपने
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आपकी प्रीत में डूब कर मीत हम, भोर से सांझ तक गुनगुनाते रहे नैन के पाटलों पर लगे चित्र हम रश्मि की तूलिका से सजाते रहे आपके होंठ बन कर कलम जड़ गये, नाम जिस पल अधर पर कलासाधिके वे निमिष स्वर्णमय हो गये दीप से, बन के दीपावली जगमगाते रहे
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इतनी आशीष जब मिल गये तो दिवस स्वर्णमय आप ही आप सब हो गये प्रेम की वॄष्टि है अनवरत हो रही तो सराबोर सर से चरन हो गये आपका स्नेह पथ को करेगा सदा दीप्त, इसका मुझे पूर्ण विश्वास है स्वप्न मधुमय सजे चाँद के नैन में वे सभी आज शिल्पित लगा हो गये.
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पुराणों के आधार पर ऐसा प्रतीत होता है किअथर्ववेद और ब्राह्मणों में इषीका के अग्नि से जलने के जो उल्लेख हैं, उनमें अग्नि कोई साधारण अग्नि नहीं है, अपितु वह तो शिव का वीर्य है, शिव की पापों को जलाने वाली शक्ति है जिससे सम्पर्क होने पर इषीका का वर्ण स्वर्णमय हो जाता है।
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जो ऐसी चित्रकारी करते हैँ कि भूरा आकाश, गुलाबी से लाल, स्वर्णमय तपता सा हो जाये तो कभी केसरी आभा से लाल अँगारे से सूरज को आगोश मेँ छिपाता हुआ दमकने लगे और विस्मय से ताकते मानव समुदाय को फिर अचरज मेँ डाल कर स्याह रात के नीले, काले रँग मेँ बदल डाले और वे पल पल परिवर्तित रँगोँ के द्रश्य बदलनेवाले कलाकार को किसी ने देखा तक नही...
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जो ऐसी चित्रकारी करते हैँ कि भूरा आकाश, गुलाबी से लाल, स्वर्णमय तपता सा हो जाये तो कभी केसरी आभा से लाल अँगारे से सूरज को आगोश मेँ छिपाता हुआ दमकने लगे और विस्मय से ताकते मानव समुदाय को फिर अचरज मेँ डाल कर स्याह रात के नीले, काले रँग मेँ बदल डाले और वे पल पल परिवर्तित रँगोँ के द्रश्य बदलनेवाले कलाकार को किसी ने देखा तक नही...
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जो ऐसी चित्रकारी करते हैँ कि भूरा आकाश, गुलाबी से लाल, स्वर्णमय तपता सा हो जाये तो कभी केसरी आभा से लाल अँगारे से सूरज को आगोश मेँ छिपाता हुआ दमकने लगे और विस्मय से ताकते मानव समुदाय को फिर अचरज मेँ डाल कर स्याह रात के नीले, काले रँग मेँ बदल डाले और वे पल पल परिवर्तित रँगोँ के द्रश्य बदलनेवाले कलाकार को किसी ने देखा तक नही...
स्वर्णमय sentences in Hindi. What are the example sentences for स्वर्णमय? स्वर्णमय English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.