31. इन बाईस प्रकारों के निग्रहस्थान में अपसिद्धान्त तथा हेत्वाभास का व्यवहार तत्त्वनिर्णय के उद्देश्य से की गयी वाद कथा में होती है। 32. हेत्वाभास का अर्थ है किसी कारण का दिया जाना, जो कारण लगता है, लेकिन यथार्थ में वह कारण नहीं है।33. अमित जैसी गलती करना काफ़ी व्यापक बीमारी है. इसे तर्क्शास्त्र में तर्कदोष या हेत्वाभास (हेतु + आभास) कहा जाता है.अंग्रेजी में- 34. Hunnjazal जी आप हेत्वाभास पृष्ठ को पढ़ो और फिर सोचो कि आपके कथन में और अनुनाद जी के प्रश्न में कितना अन्तर है। 35. चूंकि अनुमान का एक ही लक्षण (अविनाभाव) माना गया है, इसलिए उसके अभाव में एक ही हेत्वाभास माना जाना चाहिए। 36. किसी-किसी नैयायिक की दृष्टि में सिद्धसाधन और अप्रयोजक दो अधिक हेत्वाभास होते हैं भासर्वज्ञ ने न्यायसार में अनध्यवसित को छठा हेत्वाभास माना है। 37. किसी-किसी नैयायिक की दृष्टि में सिद्धसाधन और अप्रयोजक दो अधिक हेत्वाभास होते हैं भासर्वज्ञ ने न्यायसार में अनध्यवसित को छठा हेत्वाभास माना है। 38. ये दूषित प्रयोग भी ४ प्रकार के होते हैं, जिनको हेत्वाभास , छल, जाति और निग्रहस्थान पदों से अभिव्यक्त करते हैं। 39. ' दुष्ट हेतु' को हेत्वाभास कहते हैं पर इसका प्रमाण गौतम ने प्रमाण के अंतर्गत न कर इसे अलग पदार्थ (विषय) मानकर किया है। 40. वस्तुत: इस प्रकार की ऐतिहासिक परिस्थितियों में अनुपलब्धि से अभाव सिद्ध नहीं होता अत: ऐसे “आर्ग्युमेण्टम् एक्स सिलेन्शियो” को हेत्वाभास ही मानना चाहिए।