41. वे एक ऐसे कवि भी हैं जिन्होंने अंग्रेज़ी राज के ज़माने से बाद के दिनों तक भी साम्राज्यवाद की खुली आलोचना की. 42. सखाराम गणेश देउस्कर ने “ देशेर कथा ” में अंग्रेज़ी राज की इस चाल का विस्तार से पर्दा फाश किया है. 43. अंग्रेज़ी राज , तन को कपड़ा न पेट को नाज टैक्सों के बोझ से पीड़ित जनता को अच्छी तरह खाना-कपड़ा नहीं मिलता था।44. उस बहस में अंग्रेज़ी राज की लूट और और झूठ पर भी ध्यान दिया जाए तो महाविद्रोह का एक कारण समझ आएगा. 45. अंग्रेज़ी राज के ज़माने से हमारे दिलों में यह सपना बैठ गया, तभी तो अंग्रेज़ी को इस देश की राजभाषा बनाया गया।46. अंग्रेज़ी राज में बनाए गए उस कानून में समय समय पर बदलाव किये जाते रहे और सार्वजनिक इस्तेमाल की परिभाषा बदलती रही.47. एक अकेले व्यक्ति जिनका नाम पूरी युवा-पीढ़ी के लिए राष्ट्र-भक्ति का प्रेरणास्रोत और अंग्रेज़ी राज के लिए भय का कारण बन गया था। 48. दो सौ साल तक चले अंग्रेज़ी राज के ज़ुल्मों को आज वह भूल चुकी थी और बखान करने लगी सरकार की मेहरबानियों की- 49. कहने की आवश्यकता नहीं कि हिन्दी की प्रतिबंधित पत्र-पत्रिकाओं ने अपनी रचनाओं के जरिए तत्कालीन आर्थिक दुर्दशा के लिए अंग्रेज़ी राज को ज़िम्मेदार ठहराया। 50. लेकिन इस का अर्थ यह नही कि हम व्यवस्था को सुधारने की बजाये निराश हो कर अंग्रेज़ी राज की तारीफ शुरु कर दे ।