41. के विस्तार का नया स्रोत बन गया, और इस प्रकार अतिरिक्त मूल्य के स्रोत के रूप में 42. उन्हें अपने घर बैठे ही मजदूरी प्राप्त हो रही है और वह भी बिना अतिरिक्त मूल्य चुकाए। 43. इसलिए समाजवाद का मतलब महज पूँजीवादी शोषण, अतिरिक्त मूल्य के अधिग्रहण से मुक्ति नहीं है । 44. शेष हिस्सा ‘ अतिरिक्त मूल्य ' होता है, जो पूँजीपति के मुनाफे का आधार होता है । 45. इन दोनों के अंतर का अतिरिक्त मूल्य सदैव ही उत्पादन के साधनों के स्वामियों के पास रहता है। 46. इसकी वजह से मेहनतकशों को बढ़ते सामाजिक अतिरिक्त मूल्य के अपने जायज़ हिस्से से वंचित किया जाता है। 47. गौरतलब है कि उ त्त र प्रदेश में अतिरिक्त मूल्य कर (वैट) सबसे अंत में लागू हुआ है। 48. पूँजीवाद की मार्क्स की आलोचना का केंद्रीय तत्व उत्पादकों से अतिरिक्त मूल्य का अधिग्रहण का तरीका है । 49. लेकिन निश्चित तौर पर पूंजीपति अपने व फैक्टरी के सभी मजदूरों द्वारा पैदा अतिरिक्त मूल्य को पाता है। 50. इन दोनों के अंतर का अतिरिक्त मूल्य सदैव ही उत्पादन के साधनों के स्वामियों के पास रहता है।