अर्जीदार संख्या 2 अलका, याची संख्या 4 कु0 अंजना जो कि वयस्क हैं, को प्राप्त होने वाली प्रतिकर की धनराशि में से 25,000/-रू0-25,000/-रू0 6 वर्ष की अवधि के लिए किसी राष्ट्रीयकृत के बैंक या पोस्ट आफिस में सावधि जमा योजना में निवेशित की जायेगी शेष 30,104/-की धनराशि प्रत्येक को एकाउण्ट पेई चेक के माध्यम से प्राप्त करने की अधिकारी होगे।
42.
अतः अर्जीदार यह साबित करने में असफल रहा है कि दिनांक 16. 12.2008 को प्रातः 1030 बजे दीप चन्द्र पुत्र शेष मणि मोटर साइकिल से शंकरगढ़ से शिवराजपुर जा रहा था कि शंकरगढ़ के पास टैक्टर संख्या यू. पी. 70डी-9048 के चालक ने तेजी व लापरवाही से चलाते हुए मोटर साइकिल में टक्कर मार दी, जिससे दीपचन्द्र को गम्भीर चोटें आयी और उसकी मृत्यु हो गयी।
43.
विपक्षी बीमा कम्पनी रिलायन्स जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड की ओर से 14क लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है, जिसके द्वारा याचिका में किये गये अभिकथनों से इन्कार किया गया है और अभिकथित किया गया है कि अर्जीदार को कथित दुर्घटना में यू. पी70ए. यू.-9280 के चालक द्वारा तेजी व लापरवाही से वाहन चलाये जाने के कारण मृतक को कोई चोट नहीं आई और उक्त चोटों के कारण मृतक की मृत्यु नहीं हुयी।
44.
अर्जीदारान की उम्र याचिका के तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए न्यायहित में प्रतिकर की धनराशि मु0-4, 75,520/-में से अर्जीदार सं. 1 श्रीमती सन्नो देवी को 2,00000/-(दो लाख रूपये) मय ब्याज, याची संख्या 2 कुमारी अलका को 55,104/-, याची संख्या 4 कुमारी अंजना को 55,104/-, व याची संख्या 5 कुमारी बन्दना, याची संख्या 6 आलोक भारतीय व याची संख्या 7 नीरज भारतीय प्रत्येक को 55,104/-रू.-55,104/-प्रतिकर की धनराशि प्राप्त करने के अधिकारी हैं।
45.
अर्जीदार का संक्षिप्त कथन यह है कि दिनांक 17. 12.1994 को समय 11.30 बजे दिन याची की पत्नी आमिना बेगम टैम्पो नम्बर यू. पी. 70सी-9443 से बैठकर अपने गांव से इलाहाबाद की ओर आ रही थी कि इलाहाबाद-कानपुर जी0टी0रोड अली अहमद के बाग के सामने वाहन संख्या एच. आर. 29बी-6626 का चालक उक्त वाहन को तेजी एवं लापरवाही से चलाकर उक्त टैम्पों में टक्कर मार दिया जिससे आयी चोटो के फलस्वरूप आमिना बेगम की उन्हीं चोटों के कारण मृत्यु हो गयी।
46.
संक्षेप में अभिकथन इसप्रकार है कि उत्तरदाता विपक्षी द्वारा याचिका के कथनो से इनकार कियागया है और अभिकथित कियागया है कि अर्जीदार को कथित दुर्घटना में कोई चोट नहीं आई है, और दुर्घटना के समय उसकी उम्र 38वर्ष नहीं थी, जबतक अर्जीदार की ओर से प्रथम सूचना रिपोर्ट, इन्जरी रिपोर्ट, बीमा पालसी, परमिट, पंजीयन प्रमाण पत्र आदि प्रस्तुत नहीं कियागया है और यदि उपरोक्त प्रपत्र बाद में प्रस्तुत किया जाता है तो प्रतिवादी उत्तरदाता अनुकल्प में अतिरिक्त अभिकथन प्रस्तुत करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
47.
संक्षेप में अभिकथन इसप्रकार है कि उत्तरदाता विपक्षी द्वारा याचिका के कथनो से इनकार कियागया है और अभिकथित कियागया है कि अर्जीदार को कथित दुर्घटना में कोई चोट नहीं आई है, और दुर्घटना के समय उसकी उम्र 38वर्ष नहीं थी, जबतक अर्जीदार की ओर से प्रथम सूचना रिपोर्ट, इन्जरी रिपोर्ट, बीमा पालसी, परमिट, पंजीयन प्रमाण पत्र आदि प्रस्तुत नहीं कियागया है और यदि उपरोक्त प्रपत्र बाद में प्रस्तुत किया जाता है तो प्रतिवादी उत्तरदाता अनुकल्प में अतिरिक्त अभिकथन प्रस्तुत करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
48.
अर्जीदार का याचिका में कथन है कि दिनांक 09. 02.09को जब प्रार्थिनी अपने घर पंचदेवरा से अपने अस्थाई निवास करबला, इलाहाबाद के लिए जा रही थी रास्ते में फाफामउ बसना नाला पुल के तिराहे पर पहुंची कि ट्रक सं0-एच. आर. एसएस. जी-0712का चालक लापरवाही से वाहन चलाते हुए मोटरसाइकिल हीरोहोण्डा पैसन प्लस यू. पी. 70ए. इ0406में पीछे से टक्कर मार दिया तथा रोडवेज यू. पी. 70बी. टी./0816के चालक ने मोटर साइकिल में आगे से तेजी व लापरवाही से चलाते हुए टक्कर मार दिया, जिससे उसे गम्भीर चोटें आई।
49.
अर्जीदारान की उम, ्र याचिका के तथ्यों तथा मृतक आश्रितों की उम्र तथा दशा को दृष्टिगत रखते हुए न्यायहित में प्रतिकर की धनराशि 10,46,662/-रूपये में अर्जीदार सं. 1 श्रीमती गुड्डी देवी को 3,96,662/-रूपये मय ब्याज, याची संख्या 2 कुमारी दीपिका, याची संख्या 3 कुमारी करिश्मा व याची संख्या 4 कुमारी दीपांजली प्रत्येक 1,50,000/-रूपये, मु0 1,50,000/-व याची संख्या 5 मन्ना लाल व याची संख्या 6 श्रीमती शान्ती देवी जो कि मृतक के क्रमश-माता-पिता है. प्रत्येक को 1,00000/-रूपये, मु0 1,00000/-प्राप्त करने के अधिकारी हैं।
50.
उपरोक्त प्रतिकर की धनराशि याची मास्टर विकास यादव के वयस्क होने की अवधि तक के लिए जरिये संरक्षिका उसकी मॉ श्रीमती मधु यादव किसी राष्ट्रीयकृत बैंक या पोस्ट आफिस में मासिक आय योजना में निवेशित की जायेगी तथा प्रत्येक माह का ब्याज अर्जीदार की संरक्षिका श्रीमती मधु यादव माता को प्राप्त होगा जो कि अर्जीदार के पालन-पोषण में उसके वयस्क होने तक व्यय किया जायेगा तथा प्रतिकर की धनराशि पर प्राप्त होने वाले व्याज को अर्जीदार की संरक्षिका श्रीमती मधु पत्नी सुन्दर लाल द्वारा एकाउण्ट पेई चेक के माध्यम से प्राप्त करने की अधिकारी है।
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