41. कवि ने प्रमुखत: दो प्रकार की काव्य शैलियों का प्रयोग किया है-इतिवृत्तात्मक शैली और गीति-शैली। 42. ' स्वदेशी ', ' देशोध्दार ' आदि पर उनकी अधिकांश रचनाएँ इतिवृत्तात्मक पद्यों के रूप में हैं। 43. तहँ तिनकी धानकथा कौन जे गृही सधारन इस प्रकार के इतिवृत्तात्मक पद भारतेंदुजी ने भी कुछ लिखे हैं। 44. वाल्मीकि का हेमंत वर्णन मूलतः इतिवृत्तात्मक वर्णन है जो कवि के सूक्ष्म पर्यवेक्षण की चित्रात्मकता उत्पन्न करती है। 45. आपकी भाषा अभिधात्मक है तथा शैली इतिवृत्तात्मक भारतेन्दु तथा द्विवेदी गीत प्रवृतियाँ आपकी कविताओं में परिलक्षित होती है। 46. निबंध के प्रारंभिक सोपान से ही इतिवृत्तात्मक निबंधों से मोह-भंग होता है और ललित निबंध लोकप्रिय होते हैं। 47. ‘ हिदी साहित्य और बिहार ‘ खंड-5 में परमानंद चौधरी तथा कृत्यानंद सिंह का इतिवृत्तात्मक इतिहास मिलता है। 48. उनके संबंध में यह स्पष्ट समझ रखना चाहिए कि वे अधिकतर इतिवृत्तात्मक गद्य निबंध के रूप में होती थीं। 49. इतिवृत्तात्मक शैली में मुख्य कथा-प्रसंग वर्णित हुए हैं तथा गीति-शैली में वन्दना-स्तुति सम्बन्धी तथा अन्य भक्ति-गीत कहे गये हैं।50. शब्द चयन और कोमलकांत पदावली के कारण इतिवृत्तात्मक (महाकाव्य और प्रबंध काव्य जिनमें किसी कथा का वर्णन होता है)