41. जो हमारी उपकार करे, उसका हमे मन, वचन और कर्म से दस गुना उपकार करना ही चाहिये । 42. परोपकार: पुण्याय पापाय परपीडनम् दूसरों का उपकार करना ही पुण्य है, दूसरों को सताना ही पाप है। 43. जो हमारी उपकार करे, उसका हमे मन, वचन और कर्म से दस गुना उपकार करना ही चाहिये । 44. क्या ऋषि के मन्तव्य को स्पष्ट करके संसार का उपकार करना हमारा कर्तव्य नही है? अगर हम नही करेंगें तो कौन करेगा? 45. हजारों वषों की जीवन-यात्रा में भारत ने जो अनुभव संजोए हैं, उनकी धरोहर से संसार का उपकार करना भी उसका धर्म है। 46. उनकी यह धारणा शतप्रतशित असत् य है क् योंकि आर्य समाज का मुख् य उद्देश् य “ संसार का उपकार करना है ” 47. सरल शब्दों में अर्थ है कि उपकार करना , मीठा बोलना और सच्चा स्नेह करना ये 3 लक्षण सज्जनों के स्वभाव की खासियत है। 48. (ب ِ الش ّ َ اك ِ ر ِ ين َ) अल्लाह का फ़क़ीरों पर उपकार करना उनके शुक्र के कारण है। 49. दूसरों पर उपकार करना , दया एवं प्रेम रखना ही पुण्य है, धर्म है और किसी को पीडा पहुंचाना, दु:खी करना सबसे बडा पाप है। 50. परमार्थ किसी पर कोई अहसान या उपकार करना नहीं, वरन् अपने ही दूरवर्ती एवं चिरस्थायी स्वार्थ को बुद्धिमता के साथ सम्पन्न करना है ।