41. प्राय देखा जाता है कि वायरस के कारण होने वाली बीमारियों में भी लोग जानकारी के अभाव के चलते एंटीबायोटिक दवा लेने लगते हैं। 42. अपने आप ही केमिस्ट से एंटीबायोटिक दवा खरीदकर ले ली जाती है, यानि कि डाक्टर की सलाह की भी जरूरत नहीं समझी जाती। 43. वैज्ञानिकों ने संक्रामक और खतरनाक अवस्था में पहुंच चुके टीबी के इलाज में एंटीबायोटिक दवा के मिश्रण के अधिक कारगर होने का दावा किया है। 44. कई डाक्टर तो कल्चर रिपोर्ट करवाकर यह जान लेते हैं कि किस वजह से शरीर पर एंटीबायोटिक दवा का असर क्यों नहीं हो रहा है। 45. वह भी एंटीबायोटिक दवा बनाने वाली कंपनियों ने ही कि है, क्योंकि जितनी जानकारी रोगाणु की हो उतना ही दवाएं बनाना आसान हो जाता है। 46. अगर चोट लगने से घाव हो गया या एक-दो दिन फीवर रहता है तो बिना चिकित्सक की सलाह लिए खुद ही एंटीबायोटिक दवा खरीद लेते हैं। 47. यह बीमारी हर साल पांच प्रतिशत वयस्कों में होती है और डॉक्टर 70 से 80 प्रतिशत मरीजों को इसके इलाज के लिए अक्सर एंटीबायोटिक दवा देते हैं। 48. व्यक्ति एंटीबायोटिक लेने की स्टेज से पहले ही इतनी एंटीबायोटिक दवा का सेवन कर चुका होता है, जिससे बॉडी एंटीबायोटिक की आदी हो चुकी होती है। 49. लेकिन वक्त गुजरने के साथ, एंटीबायोटिक दवा खा-खाकर बैक्टीरिया अब इतना ताकतवर हो गया है कि उस पर कई एंटीबायोटिक दवाओं की मारक क्षमता कम होने लगी है। 50. उन्होंने कहा कि भले ही ऐसे लोगों को हल्की स्वास्थ्य समस्या हो लेकिन एंटीबायोटिक दवा लेना उनकी मजबूरी हो जाती है, जो एक गूढ़ सामाजिक मसला है।