अर्थात् म-न-ण अर्थभेद प्रकार्य करने वाली नासिक्य ध्वनियां हैं जब कि अ एवं ञ, न नासिक्य के साथ परिपूरक वितरण में मिलती हैं-न का उच्चारण कंठ्य ध्वनियों के पूर्व कंठ्य नासिक्य अ के रूप में होता है तो तालव्य ध्वनियों के पूर्व तालव्य नासिक्य ञ ध्वनि के रूप में होता है।
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बादमें यही नाम से कार्यक्रम विविध भारती सेवाने शुरू किया जो शुरूमें शास्त्रीय वाद्य संगीत और उसी राग वाले शास्त्रीय कंठ्य संगीत पर आधारित हुआ करता था, जो बादमें संगीत सरिता की शुरूआत के बाद फिल्मी धूनों और फिल्मी गानों का हो गया, जो पहेले दो पहर को 11.45 पर था जो बादमें बंध किया गया था ।
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बादमें यही नाम से कार्यक्रम विविध भारती सेवाने शुरू किया जो शुरूमें शास्त्रीय वाद्य संगीत और उसी राग वाले शास्त्रीय कंठ्य संगीत पर आधारित हुआ करता था, जो बादमें संगीत सरिता की शुरूआत के बाद फिल्मी धूनों और फिल्मी गानों का हो गया, जो पहेले दो पहर को 11.45 पर था जो बादमें बंध किया गया था ।
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नासिक्य-देवनागरी वर्णमाला में हमें प्रत्येक स्पर्श अथवा स्पर्श-संघर्षीव्यंजन वर्ग के अंत में एक नासिक्य व्यंजन वर्ण भी मिलता है जैसे कंठ्य ध्वनियोंके साथ अ कंठ्य नासिक्य ध्वनि [ब्] है तो मूर्धन्य ध्वनियों के साथ ण, मूर्धन्यनासिक्य [न्] है, तालव्य ध्वनियों के साथ ञ, तालव्य नासिक्य [ण्] है, और दंत्यएवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य के साथ न एवं म, क्रमशः दंत्य नासिक्य [न्] एवं द्वयोष्ठ्यनासिक्य/म्/लिखा जाता है.
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नासिक्य-देवनागरी वर्णमाला में हमें प्रत्येक स्पर्श अथवा स्पर्श-संघर्षीव्यंजन वर्ग के अंत में एक नासिक्य व्यंजन वर्ण भी मिलता है जैसे कंठ्य ध्वनियोंके साथ अ कंठ्य नासिक्य ध्वनि [ब्] है तो मूर्धन्य ध्वनियों के साथ ण, मूर्धन्यनासिक्य [न्] है, तालव्य ध्वनियों के साथ ञ, तालव्य नासिक्य [ण्] है, और दंत्यएवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य के साथ न एवं म, क्रमशः दंत्य नासिक्य [न्] एवं द्वयोष्ठ्यनासिक्य/म्/लिखा जाता है.
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नासिक्य-देवनागरी वर्णमाला में हमें प्रत्येक स्पर्श अथवा स्पर्श-संघर्षीव्यंजन वर्ग के अंत में एक नासिक्य व्यंजन वर्ण भी मिलता है जैसे कंठ्य ध्वनियोंके साथ अ कंठ्य नासिक्य ध्वनि [ब्] है तो मूर्धन्य ध्वनियों के साथ ण, मूर्धन्यनासिक्य [न्] है, तालव्य ध्वनियों के साथ ञ, तालव्य नासिक्य [ण्] है, और दंत्यएवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य के साथ न एवं म, क्रमशः दंत्य नासिक्य [न्] एवं द्वयोष्ठ्यनासिक्य/म्/लिखा जाता है.
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नासिक्य-देवनागरी वर्णमाला में हमें प्रत्येक स्पर्श अथवा स्पर्श-संघर्षीव्यंजन वर्ग के अंत में एक नासिक्य व्यंजन वर्ण भी मिलता है जैसे कंठ्य ध्वनियोंके साथ अ कंठ्य नासिक्य ध्वनि [ब्] है तो मूर्धन्य ध्वनियों के साथ ण, मूर्धन्यनासिक्य [न्] है, तालव्य ध्वनियों के साथ ञ, तालव्य नासिक्य [ण्] है, और दंत्यएवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य के साथ न एवं म, क्रमशः दंत्य नासिक्य [न्] एवं द्वयोष्ठ्यनासिक्य/म्/लिखा जाता है.
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नासिक्य-देवनागरी वर्णमाला में हमें प्रत्येक स्पर्श अथवा स्पर्श-संघर्षी व्यंजन वर्ग के अंत में एक नासिक्य व्यंजन वर्ण भी मिलता है जैसे कंठ्य ध्वनियों के साथ अ कंठ्य नासिक्य ध्वनि [ब्] है तो मूर्धन्य ध्वनियों के साथ ण, मूर्धन्य नासिक्य [न्] है, तालव्य ध्वनियों के साथ ञ, तालव्य नासिक्य [ण्] है, और दंत्य एवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य के साथ न एवं म, क्रमशः दंत्य नासिक्य [न्] एवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य /म्/ लिखा जाता है।
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नासिक्य-देवनागरी वर्णमाला में हमें प्रत्येक स्पर्श अथवा स्पर्श-संघर्षी व्यंजन वर्ग के अंत में एक नासिक्य व्यंजन वर्ण भी मिलता है जैसे कंठ्य ध्वनियों के साथ अ कंठ्य नासिक्य ध्वनि [ब्] है तो मूर्धन्य ध्वनियों के साथ ण, मूर्धन्य नासिक्य [न्] है, तालव्य ध्वनियों के साथ ञ, तालव्य नासिक्य [ण्] है, और दंत्य एवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य के साथ न एवं म, क्रमशः दंत्य नासिक्य [न्] एवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य /म्/ लिखा जाता है।
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नासिक्य-देवनागरी वर्णमाला में हमें प्रत्येक स्पर्श अथवा स्पर्श-संघर्षी व्यंजन वर्ग के अंत में एक नासिक्य व्यंजन वर्ण भी मिलता है जैसे कंठ्य ध्वनियों के साथ अ कंठ्य नासिक्य ध्वनि 1 है तो मूर्धन्य ध्वनियों के साथ ण, मूर्धन्य नासिक्य 2 है, तालव्य ध्वनियों के साथ ञ, तालव्य नासिक्य 3 है, और दंत्य एवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य के साथ न एवं म, क्रमशः दंत्य नासिक्य 4 एवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य /म्/ लिखा जाता है।
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