अतः मै अभियुक्त रविन्द्र सिह को निम्नलिखित दण्डादेष आदेष सत्र विचारण संख्या-17 / 2008 मे अभियुक्त रविन्द्र सिह को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 306 के आरोप मे तीन वर्श के कठिन कारावास तथा रूपये 5000-00 (रूपये पॉच हजार) जुर्माने एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498क के आरोप मे एक वर्श के कठिन कारावास तथा रूपये 3000-00 (रूपये तीन हजार) जुर्माने से दण्डित किया जाता है।
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अतः मै अभियुक्त रविन्द्र सिह को निम्नलिखित दण्डादेष आदेष सत्र विचारण संख्या-17 / 2008 मे अभियुक्त रविन्द्र सिह को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 306 के आरोप मे तीन वर्श के कठिन कारावास तथा रूपये 5000-00 (रूपये पॉच हजार) जुर्माने एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498क के आरोप मे एक वर्श के कठिन कारावास तथा रूपये 3000-00 (रूपये तीन हजार) जुर्माने से दण्डित किया जाता है।
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वर्तमान मामले की सम्पूर्ण परिस्थितियों के दृष्टिगत अभियुक्त को स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 जिनमे से एक से पुत्र का पैर खराब है जिनके पालन पोषण का दायित्व भी अभियुक्त बिताई गई अवधि की धारा 8/18 (ग) के अन्तर्गत यदि तीन मास के कठिन कारावास तथा रूपये 13,000/-(रूपये तेरह हजार) जुर्माने से दण्डित किया जाता है तो उससे न्याय की मंशा का पूरा होना पाया जाता है।
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अतः वर्तमान प्रकरण मे अपराध की प्रकृति, तथा पत्रावली पर उपलब्ध सम्पूर्ण परिस्थितियों के प्रकाष मे अभियुक्त को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 के आरोप मे आजीवन कारावास तथा रूपये 20,000/-(रूपये बीस हजार) जुर्माने एवं आयुध अधिनियम, 1959 की धारा 4/25 के आरोप मे दो वर्श के कठिन कारावास तथा रूपये 10,000/-(रूपये दस हजार) जुर्माने से यदि अभियुक्त को दण्डित किया जाता है तो उसमे न्याय के उद्वेष्य की पूर्ति का होना पाया जाता है।
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अतः वर्तमान प्रकरण मे अपराध की गम्भीरता तथा अपराध करने का ढंग एवं पत्रावली पर उपलब्ध सम्पूर्ण परिस्थितियों के प्रकाष मे अभियुक्तगण को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 सपठित धारा 34 के आरोप मे आजीवन कारावास तथा 20, 000/-जुर्माने एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 201 के आरोप मे 6 (छह) वर्श के कठिन कारावास तथा 10,000/-जुर्माने से यदि अभियुक्तगण को दण्डित किया जाता है तो उससे न्याय के उद्वेष्य की पूर्ति का होना पाया जाता है।
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सन् 1930 की 7 अक्टूबर का इस कानून के नाम पर रचे गए ड्रामे का पटाक्षेप हो गया और इसके फैसले के अनुसार सरदार भगत सिंह, श्री सुखदेव और श्री राजगुरु को फांसी की सजा ; सर्व श्री किशोरी लाल, महावीर सिंह, विजय कुमार सिन्हा, शिव वर्मा, गया प्रसाद, जयदेव और कमल नाथ तिवारी को आजन्म काले-पानी की सजा तथा कुन्दन लाल और प्रेम दत्त को क्रमशः सात तथा पांच वर्ष का कठिन कारावास का दंड प्रदान किया गया।
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वर्तमान प्रकरण की सम्पूर्ण परिस्थितियों एवं किये गये अपराध की प्रकृति तथा अपराध कारित करने के ढंग के दृष्टिगत अभियुक्तगण को तथा रूपये भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420 सपठित धारा 120ख के आरोप मे यदि 6 वर्ष (छह वर्ष) के कठिन कारावास 25,000/-(रूपये पच्चीस हजार) जुर्माने के साथ अभियुक्त साईमन डूनाल्ज को विदेशियो विषयक अधिनियम, 1946 की धारा 14 के आरोप मे 4 वर्ष (चार वर्ष) के कठिन कारावास एवं रूपये 20,000/-(रूपये बीस हजार) जुर्माने से दण्डित किया जाता है तो उसमे न्याय के उद्वेश्य की पूर्ति होना पाया जाता है।
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वर्तमान प्रकरण की सम्पूर्ण परिस्थितियों एवं किये गये अपराध की प्रकृति तथा अपराध कारित करने के ढंग के दृष्टिगत अभियुक्तगण को तथा रूपये भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420 सपठित धारा 120ख के आरोप मे यदि 6 वर्ष (छह वर्ष) के कठिन कारावास 25,000/-(रूपये पच्चीस हजार) जुर्माने के साथ अभियुक्त साईमन डूनाल्ज को विदेशियो विषयक अधिनियम, 1946 की धारा 14 के आरोप मे 4 वर्ष (चार वर्ष) के कठिन कारावास एवं रूपये 20,000/-(रूपये बीस हजार) जुर्माने से दण्डित किया जाता है तो उसमे न्याय के उद्वेश्य की पूर्ति होना पाया जाता है।
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