41. भज्जू श्याम की कला शैली की ख़ास बात है उनका अनोखा दृष्टिकोण जो उनके चित्रों में साफ़ नज़र आता है. 42. भोरमदेव मंदिर न केवल छत्तीसगढ़ अपितु समकालीन अन्य राजवंशों की कला शैली के इतिहास में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 43. गोथिक कला शैली में बनी इस खूबसूरत इमारत के हर हिस्से में जैसे एक कलात्मक बौद्धिकता सी नज़र आती है। 44. १९३० के दशक में पश्चिम से आई कला शैली के प्रभाव में ढली इन इमारतों ने बांबे को बांबे बनाया। 45. भज्जू श्याम की कला शैली की ख़ास बात है उनका अनोखा दृष्टिकोण जो उनके चित्रों में साफ़ नज़र आता है. 46. इस तरह कलचुरि कला शैली का आरंभ ग्यारहवीं सदी का है, विकास-समृद्धि बारहवीं सदी की और ह्रास तेरहवीं सदी में। 47. भोरमदेव मंदिर न केवल छत्तीसगढ़ अपितु समकालीन अन्य राजवंशों की कला शैली के इतिहास में भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 48. रागमाला चित्रों का सृजन भारत की अन्य कला शैलियों में भी हुआ है तथापि राजस्थानी कला शैली की बात ही निराली है। 49. इस कला शैली के लिये यह आवश् यक नहीं है कि इसके प्रदर्शन के लिये आर्ट गैलरी का ही प्रयोग किया जाय। 50. रागमाला चित्रों का सृजन भारत की अन्य कला शैलियों में भी हुआ है तथापि राजस्थानी कला शैली की बात ही निराली है।