अतः स्वाभाविक रूप से मृतक की कोई मासिक आमदनी नाबालिग होने के आधार पर नहीं मानी जा सकती लेकिन यह अवष्य है कि इतनी कम उम्र में मृतक बच्चे की मृत्यु होने पर याचीगण को मानसिक कष्ट होना स्वाभाविक है और याचीगण मृतक के प्यार व स्नेह से हमेषा के लिए वंचित भी हुए है।
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अतः स्वाभाविक रूप से मृतका की कोई मासिक आमदनी नाबालिग बच्ची होने के आधार पर नहीं मानी जा सकती लेकिन यह अवष्य है कि इतनी कम उम्र में मृतक बच्ची की मृत्यु होने पर याची को मानसिक कष्ट होना स्वाभाविक है और याची मृतका के प्यार व स्नेह से हमेषा के लिए वंचित भी हुआ है।
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अतः स्वाभाविक रूप से मृतक की कोई मासिक आमदनी नाबालिग षिषु होने के आधार पर नहीं मानी जा सकती है लेकिन यह अवष्य है कि इतनी कम उम्र में मृतक बच्चे की मृत्यु होने पर याची को मानसिक कष्ट होना स्वाभाविक है और याची मृतक के प्यार व स्नेह से हमेषा के लिए वंचित भी हुआ है।
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कंठ (गले) से सम्बन्धित लक्षण:-गले में खुश्की होना, दर्द होना, खाना को निगलते समय अधिक कष्ट होना, छिलन महसूस होना, गला साफ करने की बार-बार कोशिश करना आदि इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एरम ड्रैकोण्टियम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
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गरीब होना लेकिन विलासी भी होना अपने पास जो है उससे अधिक दिखावा करना अपने ही कुल के लोगो से लडाई झगडा करते रहना पुरुष की वजाय स्त्रियों का अधिक क्रियाशील होना एक ही स्थान पर बने रहने की आदत होना जो मिल जाये उसी पर संतोष कर लेना सम्बन्धो के मामले मे शरीर कष्ट होना सर्व भक्षी होना आदि बाते देखी जाती है
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कृष्ण ने अर्जुन से कहा इस मोटी बुद्धि को छोड़ और सूक्ष्म दृष्टि से विचार कर, अहिंसा की प्रतिष्ठा इसलिए नहीं है कि उससे किसी जीव का कष्ट कम होता है, कष्ट होना न होना कोई विशेष महत्त्व की बात नहीं है, क्योंकि शरीरों का तो नित्य ही नाश होता है और आत्मा अमर है, इसलिए मारने न मारने में हिंसा-अहिंसा नहीं है ।
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क्या सन्देश देना चाहते हैं आप? स्वामी विवेकानंद, स्वामी राम तीर्थ, महर्षी अरविन्द, स्वामी दयानंद, श्री-श्री रविशंकर संत ही हैं न? ऐसे महान पुरुषों के सम्मान से किसी को क्यों कष्ट होना चाहिए? जो लोग समाज को सही दिशा देने में आप हम से हज़ारों गुना अधिक सफल हैं, जिनके कारण भारत-भारत है ; उनके प्रती विद्वेष भाव? आखिर बात क्या है?????
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जांघ के अन्दरूनी भाग में जलन होना, पेट में दर्द होना, अतिसार होना तथा मासिकधर्म के समय में अधिक कष्ट होना, इन रोगों के होने के साथ ही रोगी को अधिक थकावट महसूस हो रही हो, नींद आती हो, अधिक गंभीर स्वभाव का हो, कम से कम शब्दों में बोलने वाला हो, मांसपेशियों में ऐंठन हो रही हो, टांग की पेशियां अकड़ी हुई हो, बिना बात का हंसने वाला हो।
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कुछ शारीरिक और मानसिक लक्षण शरीर की ओर से हमें मिलते भी हैं तो हम प्रायः उसका कारण कुछ और ही समझा करते हैं जैसे कब्जियत, सिरदर्द, सिर में भारीपन व तनाव, चक्कर आना, जल्दी थक जाना, ह्रदय की धडकन बढना, कभी-कभी सांस लेने में कष्ट होना, स्वभाव में चिडचिडापन, अनिद्रा और तबियत में बैचेनी आदि लक्षण हमें उच्च रक्तचाप का संकेत ही देते हैं किन्तु प्रायः हम इनके दूसरे ही कारण समझा करते हैं ।
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जब किसी की जन्म पत्रिका उपलब्ध नहीं हो और जीवन में कुछ परेशानियां आ रही हों जैसे बार-बार दुर्घटनाएं होना, मानसिक परेशानी, किसी भी काम में बार-बार विफलता आना, संतान के विवाह में विलम्ब या अन्य कष्ट होना, पूजा पाठ में मन नहीं लगना, चित्त विकृति, धनाभाव, व्यापार में नुकसान, रोजगार की समस्या, भय, शारीरिक व्याधि, दाम्पत्य जीवन में क्लेश आदि समस्याओं के समाधान के लिए गुप्त नवरात्र में देवी की आराधना तथा यंत्र सहित मंत्र जप करें सफलता मिलेगी।
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