41. प्रसाद जी की काव्य शैली में परम्परागत तथा नव्य अभिव्यक्ति कौशल का सुन्दर समन्वय है। 42. इसके काव्य शैली शिल्प रचना प्रक्रिया व उद्देश्य सभी में आमूलचूल परिवर्तन दिखाई पड़ते है। 43. प्रसाद जी की काव्य शैली में परम्परागत तथा नव्य अभिव्यक्ति कौशल का सुन्दर समन्वय है। 44. कसीदों में खाकानी और कमाल अस्फहानी की काव्य शैली को अपनाने की कोशिश की गई है। 45. कसीदों में खाकानी और कमाल अस्फहानी की काव्य शैली को अपनाने की कोशिश की गई है। 46. कसीदों में खाकानी और कमाल अस्फहानी की काव्य शैली को अपनाने की कोशिश की गई है। 47. तुलछारामजी गणित को काव्य शैली में समझाते हैं तो फिर अपना दिमाग थम जाता है. 48. उन्होंने अपनी सफल काव्य शैली के द्वारा लाक्षणिक प्रयोग कर सूक्ष्मतर भावों को अर्थवत्ता प्रदान की है। 49. आप जैसे ब्लॉगरों के कारण ही ब्लॉग जगत में छायावाद युगीन काव्य शैली देखने को मिलती है। 50. उन्होंने अपनी सफल काव्य शैली के द्वारा लाक्षणिक प्रयोग कर सूक्ष्मतर भावों को अर्थवत्ता प्रदान की है।