41. चाणक्य: (चिन्ता करके आप ही आप) हा! क्या किसी भाँति यह दुरात्मा राक्षस पकड़ा जायगा। 42. क्या मैं कभी अपनी आँखों से दुरात्मा रावण को राघव के बाणों से मरता देख सकूँगी? 43. महात्मा और दुरात्मा में इतना ही भेद है कि उनके मन बचन और कम्र्म एक रहते 44. भीषण युद्ध के उपरान्त दुरात्मा रावण का वध भगवान् राम के द्वारा कर दिया जाता है। 45. तुम्हें फिर से उठाना होगा एक शेरनी की माफिक और देना होगा जवाब उस दुरात्मा को। 46. वहीं दुरात्मा सोचता कुछ है, बोलता कुछ अलग है और करता कुछ और ही है. 47. तेरा पुत्र येसु दुरात्मा के अधिकार को और अज्ञान के अन्धकार को दूर करने वाला सूर्य है। 48. आप इसके लिए प्रायश्चित करेंगे? आपटे-अगर न करूं तो मुझसे बड़ा दुरात्मा संसार में न होगा। 49. चाणक्य: (क्रोध से) दुरात्मा दुष्ट बनिया! देख राजकोप का कैसा फल पाता है। 50. उसने कहा! दुरात्मा महमूद तू तो गुजरात का पालक था फिर तू ही घातक कैसे बन बैठा।