41. इतना ही पर्याप्त है हमें दिखाने को राह ताकि हम कर सकें भर्त्सना दुष्टात्मा की और उसके वीभत्स कलंकों की 42. दुष्टात्मा के गिरोह को परास्त करने के लिए अपने हुनर एवं जादुई शक्तियों का प्रयोग करो तथा विश्व को बचाओ43. 52 इस पर यहूदी नेताओं ने उससे कहा, “अब हम यह जान गये हैं कि तुम में कोई दुष्टात्मा समाया है। 44. ”52 इस पर यहूदी नेताओं ने उससे कहा, “अब हम यह जान गये हैं कि तुम में कोई दुष्टात्मा समाया है। 45. आप करने वाले हैं कि नहीं? मेरी दुष्टात्मा सच बोल उठी-अबे क्यों करें? कौन हैं ये? पत्रकार को स्टोरी करनी थी। 46. उसी मधु का पुत्र लवण है जो अत्यन्त दुष्टात्मा है और उस शूल के बल पर निरन्तर हमें कष्ट देता है। 47. से पवित्र आत्मा का एक वरदान है जो किसी व्यक्ति को दुष्टात्मा की उपस्थिति को महसूस करने में सक्षम बनाता है. 48. 19 फिर उसके शिष्यों ने अकेले में यीशु के पास जाकर पूछा, “हम इस दुष्टात्मा को बाहर क्यों नहीं निकाल पाये?” 49. उसी मधु का पुत्र लवण है जो अत्यन्त दुष्टात्मा है और उस शूल के बल पर निरन्तर हमें कष्ट देता है। 50. वे दूत कहते हैं-अरे दुष्टात्मा तू! शीघ्र चल, तुझे यमलोक जाना और कुंभीपाक आदि नरकों का उपभोग करना है।