41. अत: सभी श्रावक श्राविका धर्मसंघ के प्रति अपने दायित्व को समझे. 42. मैं चाहता हूं-मेरा धर्मसंघ अध्यात्म के विकास की दिशा में आग बढे। 43. § आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर धर्मसंघ में बना रहना अवांछनीय है। 44. यहां यह स्मरण रहे कि स्वामी परमानन्द ही धर्मसंघ के प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। 45. इस धर्मसंघ की एकता, संगठन, अनुशासन और मर्यादा का प्रतीक है-मर्यादा महोत्सव। 46. साध्वी धर्मप्रभा ने कहा कि धर्मसंघ में श्रावक समाज की भूमिका अहम होती है। 47. वह बिश्नोई धर्मसंघ का सदस्य, अनुयायी तथा विष्णु भगवान का उपासक माना जायेगा। 48. यह बात तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण की शिष्या साध्वी उ”वल कुमारी ने कही। 49. आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर धर्मसंघ में बना रहना अवांछनीय है। 50. तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने सम्यक ज्ञान को कांच के समान बताया है।