डिस्कोथेक-यह शब्द अब पश्चिम में नाचघर के लिए कम प्रयोग में आता है “क्लब” या “नाईट क्लब” अधिक. डिस्कोथेक या नाचघरों मे बजाए जाने वाले संगीत का अपने आप में एक विधा बन जाना और फ़िर धीरे धीरे मुख्यधारा से हल्का पड जाना इसका कारण है.
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डिस्कोथेक-यह शब्द अब पश्चिम में नाचघर के लिए कम प्रयोग में आता है “क्लब” या “नाईट क्लब” अधिक. डिस्कोथेक या नाचघरों मे बजाए जाने वाले संगीत का अपने आप में एक विधा बन जाना और फ़िर धीरे धीरे मुख्यधारा से हल्का पड जाना इसका कारण है.
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चरित्र हनन करना यह हम लोगों का संस्कार नहीं है फिर भी मार्क्स-पुत्रों को इशारे में यह बता देना आवश्यक है कि माउत्सेतुंग (जिसने न केवल 5 शादियां की बल्कि प्रत्येक बुधवार को नाचघर में उसके लिए लड़कियां बुलाई जाती थी....) मन में घृणा के साथ-साथ आक्रोश भी पैदा करता है।
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स्वाभाविक ही था कि संस्कृति के दुर्ग में कैद होकर सत्ता के चश्मे से उसे बस्तर के अदृश्य व विरान नाचघर ही दीखते, उसके वे हाड़-मांस के रहवासी नहीं जो राजद्रोह के आरोप में छत्तीसगढ़ की जेलों में या तो बंद हैं या राज्य की हिंसा से बचने के लिए कहीं लुके-छिपे हैं।
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सामाजिक-राजनैतिक कविताओं (बंगाल का काल, खादी के फूल, सूत की माला, धार के इधर-उधर, आरती और अंगारे, बुद्ध और नाचघर, त्रिभंगिमा, चार खेमे चौंसठ खूँटे, दो चट्टानें, जाल समेटा) तक आते-आते बच्चन का यह काव्य-नायक मनुष्य अपने व्यक्तित्व के रूपांतरण और समाजीकरण में सफल हो जाता है ;
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निशा-निमंत्रण ', ‘ प्रणय पत्रिका ', ‘ मधुकलश ', ‘ एकांत संगीत ', ‘ सतरंगिनी ', ‘ मिलन यामिनी ', ” बुद्ध और नाचघर ', ‘ त्रिभंगिमा ', ‘ आरती और अंगारे ', ‘ जाल समेटा ', ‘ आकुल अंतर ' तथा ‘ सूत की माला ' नामक संग्रहों में आपकी रचनाएँ संकलित हैं।
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तेरा हार (1932) मधुशाला (1935) मधुबाला (1936) मधुकलश (1937) निशा निमंत्रण (1938) एकांत संगीत (1939) आकुल अंतर (1943) सतरंगिनी (1945) हलाहल (1946) बंगाल का काव्य (1946) खादी के फूल (1948) सूत की माला (1948) मिलन यामिनी (1950) प्रणय पत्रिका (1955) धार के इधर उधर (1957) आरती और अंगारे (1958) बुद्ध और नाचघर (1958) त्रिभंगिमा (1961) चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962) दो चट्टानें (1965) बहुत दिन बीते (1967)
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सतरंगिनी / हरिवंशराय बच्चन (1945) हलाहल / हरिवंशराय बच्चन (1946) बंगाल का काल / हरिवंशराय बच्चन (1946) खादी के फूल / हरिवंशराय बच्चन (1948) सूत की माला / हरिवंशराय बच्चन (1948) मिलन यामिनी / हरिवंशराय बच्चन (1950) प्रणय पत्रिका / हरिवंशराय बच्चन (1955) धार के इधर उधर / हरिवंशराय बच्चन (1957) आरती और अंगारे / हरिवंशराय बच्चन (1958) बुद्ध और नाचघर / हरिवंशराय बच्चन (1958) त्रिभंगिमा / हरिवंशराय बच्चन (1961) चार खेमे चौंसठ खूंटे / हरिवंशराय बच्चन (1962)
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यह यकीन करना मुश्किल है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाने वाला देश और उस देश की राजधानी, जहां न्यायपालिका है, संसद है, जहां प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति रहते हैं, जहां सबसे मुस्तैद सुरक्षा व्यवस्था है, एक-एक पल की गतिविधियों को कैद करने वाले हाई प्रोफाइल कैमरे लगे हैं, वहां डेढ़-डेढ़ फुट पर लगी नियान लाइटों की चकाचौंध में राजमार्ग पर लगातार ढाई घंटे घूम-घूमकर एक लड़की के साथ छह लोग बलात्कार करते हैं, वह चीखती है लेकिन सत्ता के नाचघर में मशगूल कोई सुनने और बचाने वाला सामने नहीं आता।
नाचघर sentences in Hindi. What are the example sentences for नाचघर? नाचघर English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.