41. (2) वर्तमानकाल व भविष्यतकाल की सकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ ने परसर्ग का प्रयोग नहीं होता है। 42. विशेष-(1) भूतकाल में अकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ भी ने परसर्ग (विभक्ति चिह्न) नहीं लगता है। 43. विशेष-(1) भूतकाल में अकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ भी ने परसर्ग (विभक्ति चिह्न) नहीं लगता है। 44. (2) वर्तमानकाल व भविष्यतकाल की सकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ ने परसर्ग का प्रयोग नहीं होता है। 45. परसर्ग वाक्य में शब्दों के तिर्यक रूपों के साथ प्रयुक्त होकर किसी कारक संबंध को अभिव्यक्त करते हैं।46. वाक्य के गठन में अव्यय, निपात, क्रियाविशेषण एवं परसर्ग आदि की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 47. अन्तिम अनुच्छेद में निपात, उपसर्ग, मध्यसर्ग एवं परसर्ग (प्रत्यय) का विस्तृत विवरण है । 48. विशेष-(1) भूतकाल में अकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ भी ने परसर्ग (विभक्ति चिह्न) नहीं लगता है। 49. पश्चिमी राजस्थानी में संबंध कारक के परसर्ग ' रो-रा-री' हैं, किंतु पूर्वी राजस्थानी में ये हिन्दी की तरह 'को-का-की' हैं। 50. किस पद के साथ कब, कौन परसर्ग होगा इसका अत्यन्त सुरुचिपूर्वक वर्णन 'नवशती व्याकरण' में देखने को मिलता है।