41. वाह! बहुत खूब! अगली किस्त और सब करना भैये लेकिन अब लड़की को दुबारा उदास मत करना। 42. -बहुत खूब, बहुत खूब! मुझे लग रहा था इसीलिए पूछा कि आप कौन से लेफ्ट के हैं! 43. प्यारेलाल, बहुत दिनों बाद उन घंटियों के समकक्ष आ के बैठे ये आपके अशआर...:) बहुत खूब! जीते रहिये! 44. मुझ मे खो कर वो मुझे खोई नजर से देखना ' बहुत खूब! लिखते रहा करो.तुम भी पक्के मूडी हो. 45. जितेन्द्र जी, बहुत खूब! बहुत सुन्दर कविता लिखा है आपने! मेरे ब्लॉग में टिप्पणी छोड़ने का बहुत बहुत शुक्रिया आपका! 46. ' कला तो सीखते हैं...अदब से मौत का....' वाह! बहुत खूब! बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है अर्श आप ने. 47. जियो रजा! बहुत खूब! अंकुर भाग न ले सका यह अफ़सोस की बात है लेकिन तुम दौड़े और रेस पूरी की। 48. आया वो इस तरह से मेरी महफिल में मेरा होना न रहा न रहा उसका होना... बहुत खूब! बहुत सुन्दर गज़ल.. 49. भुजा सरीखो मित्र नही, तेज न नेत्र समान दूध मात सम को नही, भूप न इन्द्र समान बहुत खूब! दीपावली शुभ हो! 50. हश्र यूँ मेरे सिवा जानता था हर कोई मैं अपने हाल पे ख़ुद ही निहाल कितना था-क्या बात है, बहुत खूब!